Kasganj News: एक छोटे से कस्बे गंजडुंडवारा की होली आपसी भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश करती है। यहां वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मुस्लिम बहुल इलाकों और मस्जिदों के निकट होलिका दहन किया जाता है। इस परंपरा में हिंदू और मुस्लिम समुदाय का पूरा सहयोग देखने को मिलता है जो सौहार्द का प्रतीक है।
मस्जिदों के पास होलिका दहन: एक परंपरा
कस्बे के बान मंडी तिराहे और टीन बाजार के पास स्थित मोहल्लों में हिंदू आबादी बेहद कम है क्योंकि कई परिवार रोजगार और अन्य सुविधाओं के चलते पलायन कर चुके हैं। इसके बावजूद इन इलाकों में होलिका दहन की परंपरा लगातार जारी है। खास बात यह है कि दोनों ही स्थानों पर मस्जिदों से कुछ ही कदम की दूरी पर होलिका दहन किया जाता है और मुस्लिम समुदाय के लोग इसमें पूरा सहयोग देते हैं।
सहयोग और सौहार्द की मिसाल
टीन बाजार मस्जिद के पास निर्धारित होलिका दहन स्थल पर बनी अस्थायी दुकानों को मुस्लिम दुकानदार स्वयं हटा देते हैं, जिससे दहन में कोई रुकावट न हो। इसके बाद नगर पालिका प्रशासन द्वारा सफाई और अन्य व्यवस्थाएं कराई जाती हैं। होलिका दहन के दिन हिंदू परिवार अपने बच्चों के साथ आते हैं और विधिपूर्वक होलिका दहन करते हैं। परंपरागत रूप से होलिका की परिक्रमा कर त्योहार का शुभारंभ किया जाता है।
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दिलचस्प बात यह है कि मुस्लिम समुदाय (Kasganj News) के बच्चे जलती होली में आलू भूनकर खाने का आनंद भी लेते हैं। इस इलाके में होली को लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ जो यहां की आपसी एकता और भाईचारे को दर्शाता है। कासगंज के गंजडुंडवारा कस्बे की होली केवल रंगों का नहीं बल्कि आपसी प्रेम और सौहार्द का उत्सव है। यह परंपरा हिंदू-मुस्लिम एकता का जीवंत उदाहरण है जो पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है।
नगर पालिका की तैयारियां
नगर पालिका प्रशासन ने इस वर्ष कस्बे में कुल 21 स्थानों पर होलिका दहन की व्यवस्था की है। अधिशासी अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि सफाई, प्रकाश और पेयजल जैसी सुविधाओं को दुरुस्त किया जा रहा है ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
स्थानीय लोगों की राय
गयासुद्दीन शेख का कहना है कि हमने बचपन से यहीं होलिका दहन होते देखा है। हिंदू-मुस्लिम सभी मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं और भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं।
बबलू कुरैशी ने कहा कि बान मंडी तिराहे स्थित मस्जिद के पास लंबे समय से होलिका दहन होता आ रहा है। दोनों समुदायों के लोग इसके बाद एक-दूसरे को बधाई देते हैं। यहां कभी कोई विवाद नहीं हुआ जो कि सौहार्द का प्रतीक है।