Parenting Tips अक्सर घर में बड़े लोग बच्चों से मजाक में ऐसी बातें बोल देते हैं, जो उनके दिमाग और आत्मविश्वास पर बुरा असर डाल सकती हैं। कई बार लोग इसे हल्के में ले लेते हैं, लेकिन आगे चलकर यही बातें बच्चे के व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकती हैं। बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने आसपास देखते और सुनते हैं। इसलिए, माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि वे बच्चों से कैसी बातें कर रहे हैं। बातचीत के दौरान कुछ बातों से बचना जरूरी है, ताकि बच्चों का आत्मविश्वास बना रहे और वे मानसिक रूप से मजबूत बन सकें। आइए जानते हैं, वे कौन-सी बातें हैं जो बच्चों से मजाक में भी नहीं कहनी चाहिए।
“तुम बहुत मूर्ख हो”
बच्चों को मूर्ख कहना उनके आत्मविश्वास को बुरी तरह गिरा सकता है। जब बच्चे बार-बार यह सुनते हैं, तो वे खुद को कमजोर और असफल मानने लगते हैं। उनकी सीखने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है। इसके बजाय, अगर वे कोई गलती करें तो उन्हें प्यार से समझाएं और सुधारने में मदद करें।
“तुम कभी कुछ नहीं कर पाओगे”
कई बार माता-पिता गुस्से या मजाक में कह देते हैं कि “तुमसे कुछ नहीं होगा” या “तुम कभी सफल नहीं हो सकते”। यह वाक्य बच्चों के मन में नकारात्मकता भर सकता है और वे अपने भविष्य को लेकर डरने लगते हैं। उनकी खुद पर से विश्वास कम हो जाता है। इसलिए, उन्हें डांटने की बजाय उनकी क्षमताओं पर भरोसा दिलाएं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
“दूसरों के बच्चे तुमसे अच्छे हैं”
जब आप अपने बच्चे की तुलना किसी और से करते हैं, तो यह उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकता है। वे खुद को कमतर समझने लगते हैं और हीनभावना के शिकार हो सकते हैं। हर बच्चा अपने आप में खास होता है, इसलिए तुलना करने की बजाय उन्हें उनके खुद के सुधार पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करें। कहें कि “तुम बहुत अच्छा कर सकते हो, बस मेहनत करो”।
“तुम्हारे जैसे बच्चे कभी सफल नहीं होते”
यह एक ऐसी बात है जो बच्चे को अंदर तक तोड़ सकती है। जब बार-बार यह कहा जाता है कि “तुमसे कुछ नहीं होगा” या “तुम कभी सफल नहीं हो सकते”, तो बच्चा धीरे-धीरे इसे सच मानने लगता है। इससे उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वे अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगते हैं। बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें, न कि उनकी उम्मीदें तोड़ें।
बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें?
बच्चों को हमेशा सकारात्मकता दें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं।
यदि वे गलती करें तो सजा देने की बजाय उन्हें प्यार से समझाएं।
तुलना करने की बजाय उन्हें प्रेरित करें कि वे खुद को बेहतर बना सकें।
हर बच्चे की अपनी अलग योग्यता होती है, उसे पहचानें और बढ़ावा दें।