Pakistan Economic Crisis : भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर अपना स्पष्ट पक्ष रखा, और पाकिस्तान को पीओके को खाली करने की चेतावनी दी। इस पर पाकिस्तान की सरकार को यह चिंता सता रही है कि वह कब तक अपने नियंत्रण में कश्मीर क्षेत्र को रख पाएगी, खासकर जब देश के अंदरूनी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं।
भारत ने रखा अपना पक्ष
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर पाकिस्तान को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से अपनी अवैध कब्जेदारी खत्म करने का स्पष्ट संदेश दिया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बार-बार उठाने को अनुचित करार देते हुए यह दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा।
हरीश ने पाकिस्तान से कहा, “पाकिस्तान को अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को छोड़कर इस मंच पर ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।” उनका यह बयान पाकिस्तान के द्वारा जम्मू-कश्मीर पर बार-बार उठाए जा रहे मुद्दों के संदर्भ में था।
राजनाथ सिंह ने दिया बड़ा बयान
कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत को पाकिस्तान से यह उम्मीद नहीं है कि वह पीओके को भारत के हवाले कर देगा, लेकिन पीओके के लोग खुद ही यह मांग करेंगे कि उन्हें भारत के साथ जोड़ दिया जाए। सिंह ने पाकिस्तान के जर्जर हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं से निपटना होगा।
क्या हैं पाकिस्तान की आंतरिक समस्याएं ?
पाकिस्तान के भीतर आंतरिक हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में अलगाववादी आवाजें तेज हो गई हैं, जबकि पाक-अफगान सीमा पर तनाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, पाक अधिकृत कश्मीर में भी जनता के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर नाराजगी पाई जा रही है।
आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की स्थिति बेहद कमजोर है और देश का अधिकांश बजट विदेशी कर्ज पर निर्भर है। सिंध प्रांत में भी स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, जहां लोग सिंधु नदी पर नई नहर परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इन परियोजनाओं से सिंध को उसके पानी से हमेशा के लिए वंचित कर दिया जाएगा।
पाकिस्तान की बड़ी चुनौती
पाकिस्तान में आतंकवाद एक और गंभीर समस्या बन चुकी है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठन लगातार पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) क्षेत्रों में आतंकी हिंसा का सिलसिला जारी है। पाकिस्तान सरकार तमाम दावों के बावजूद इन हमलों को रोकने में विफल रही है।
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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 23 मार्च को पाकिस्तान के स्थापना दिवस पर एक भाषण में पाकिस्तान के सामने आने वाली भू-राजनीतिक चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना इन चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रही है, लेकिन सूचनात्मक और साइबर युद्ध जैसे नए संकट उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं।
पाकिस्तान पीओके छोड़ने पर होगा मजबूर ?
पाकिस्तान के अंदरूनी हालात, आर्थिक संकट, आतंकवाद, और बढ़ते अलगाववादी आंदोलन यह सभी संकेत दे रहे हैं कि पाकिस्तान को पीओके पर अपने नियंत्रण को जारी रखने में कठिनाई हो सकती है। यदि पाकिस्तान की आंतरिक समस्याएं इसी तरह बढ़ती रहीं, तो उसे शायद पीओके को खाली करने के लिए मजबूर होना पड़े। हालांकि, यह समय बताएगा कि पाकिस्तान इन चुनौतियों का कैसे सामना करता है और क्या वह अपनी स्थिरता बनाए रख पाता है।