आज से 202 दिन पहले, एक मां ने अपने पांचवें बच्चे को जन्म दिया था। पहले से तीन बेटियां और एक बेटा था, लेकिन यह बेटा उसके लिए खास था। जन्म के कुछ घंटों बाद ही अस्पताल ने उसे बता दिया कि बच्चा नहीं बचा। लेकिन मां को इस बात पर यकीन नहीं था। उसे जिस तरह से अस्पताल से निकाला गया, उससे शक और गहरा गया। हालांकि, तब वह कुछ नहीं कर सकी, लेकिन अपनी सोच पर टिकी रही। पूरे 200 दिन की लड़ाई के बाद, रविवार को उसे जीत मिली, जब पुलिस ने उसके बेटे को खोज निकाला और उसे उसकी मां को सौंप दिया।
पति ने ही बेचा बच्चा, घर से ही शुरू हुई लड़ाई
वैशाली जिले के महुआ थाना क्षेत्र के मनपुरा गांव की गोलू कुमारी को यह पता नहीं था कि उसका नवजात बेटा उसके पति ने ही बेच दिया था। जब-जब वह अपने बच्चे के जिंदा होने की बात कहती, उसका पति उसे समझाने की कोशिश करता कि बच्चा मर चुका है। लेकिन मां का दिल इस बात को मानने को तैयार नहीं था।
10 सितंबर 2024 को हाजीपुर के जौहरी बाजार स्थित न्यू बुद्ध अपोलो इमरजेंसी हॉस्पिटल में उसने बेटे को जन्म दिया। महिला ने बताया, “बच्चे के जन्म के कुछ ही देर बाद डॉक्टर आदित्य राज उर्फ चिंटू अचानक मेरे नवजात बेटे को गाड़ी में लेकर चला गया। उसने कहा कि केस क्रिटिकल है, इसलिए दूसरे अस्पताल में भर्ती कराना होगा। कुछ समय बाद, उसने बच्चे की मौत की खबर दी और अस्पताल से निकाल दिया।” लेकिन गोलू को अपने पति की बातों पर भरोसा नहीं था और उसने सच जानने की ठानी।
आशा कार्यकर्ता और डॉक्टर पर शक, पुलिस ने मदद नहीं की
गोलू को सबसे ज्यादा शक आशा कार्यकर्ता मीनू कुमारी पर था, जो उसे सरकारी अस्पताल की जगह निजी अस्पताल लेकर गई थी। दूसरा शक डॉक्टर चिंटू पर था, जिसने नवजात की मौत की खबर दी थी।
गोलू ने महुआ थाने में जाकर पुलिस से मदद मांगी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महीनों तक दौड़भाग के बाद, एक एनजीओ ने उसका साथ दिया। जब पुलिस पर दबाव पड़ा, तब जाकर महुआ और हाजीपुर नगर थाने में मामले दर्ज हुए। पुलिस ने जांच शुरू की, तो पति की साजिश सामने आई।
डिलीवरी के खर्च के बदले बच्चे को बेच दिया
जांच में सामने आया कि गोलू का पति राजेश कुमार पांचवां बच्चा नहीं चाहता था। पहले से ही तीन बेटियां और एक बेटा था। जब गोलू गर्भवती हुई, तो उसने अबॉर्शन कराने के लिए आशा कार्यकर्ता मीनू से संपर्क किया। लेकिन डॉक्टर ने गर्भ के पूरे होने की वजह से अबॉर्शन से मना कर दिया।
इसके बाद, मीनू के जरिए राजेश की मुलाकात डॉक्टर चिंटू से हुई। चिंटू ने कहा कि बच्चा उन लोगों को दिया जा सकता है, जिनके संतान नहीं होती। फिर चिंटू ने राजेश की मुलाकात दलाल जयप्रकाश, जितेंद्र और अविनाश से करवाई। राजेश ने अस्पताल में हुए करीब 50,000 रुपये के खर्च के बदले रकम मांगी और रमेश नाम के व्यक्ति ने पैसे देकर बच्चा खरीद लिया। दूसरी ओर, डॉक्टर चिंटू ने गोलू को उसके बेटे की मौत की झूठी खबर देकर अस्पताल से भगा दिया।
डॉक्टर और आशा कार्यकर्ता अब भी फरार
फिलहाल, पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है
राजेश कुमार (बच्चे का पिता, जिसने उसे बेचा)
रमेश कुमार (जिसने बच्चा खरीदा)
जयप्रकाश कुमार, जितेंद्र कुमार, अविनाश कुमार (बच्चा खरीदने-बेचने के दलाल)
अरुण कुमार (इस साजिश में मदद करने वाला)
लेकिन डॉक्टर चिंटू और आशा कार्यकर्ता मीनू अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।