Vibrant Village Programme Phase 2: चीन, पाकिस्तान सहित अन्य देशों की सीमा के पास बसे गांव सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन इलाकों में कई बार घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों की खबरें आती रहती हैं। इसलिए सरकार अब इन गांवों को विकसित कर उन्हें सुरक्षित, मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है।
कैबिनेट से मिली योजना के दूसरे फेज को हरी झंडी
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के दूसरे चरण (VVP-2) को मंजूरी मिल गई। यह योजना पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा फंडेड होगी। इसके जरिए बॉर्डर से सटे गांवों का हर तरह से विकास किया जाएगा।
क्या है योजना का उद्देश्य?
इस योजना के दूसरे फेज का मकसद सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना नहीं है, बल्कि सीमावर्ती गांवों के लोगों को रोज़गार, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर भी देना है। इससे सीमावर्ती आबादी को सीमा की सुरक्षा में भागीदार बनाया जा सकेगा। यह योजना न सिर्फ अवैध घुसपैठ और सीमा पार अपराधों पर लगाम लगाएगी, बल्कि देश की सीमाओं को और मजबूत बनाएगी।
किन राज्यों को मिलेगा फायदा?
यह योजना वर्ष 2028-29 तक लागू रहेगी और इसमें 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है। ये हैं।
अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।
क्या-क्या होगा इन गांवों में
इन गांवों में पक्की सड़कों, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।
सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और सहकारी समितियों के जरिए लोगों को कमाई के साधन मिलेंगे।
ग्रामीणों को स्थायी आजीविका देने के लिए स्थानीय स्तर पर उद्योग और रोजगार के मौके बनाए जाएंगे।
सड़क निर्माण का काम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (चरण-4) के तहत किया जाएगा।
सीमावर्ती इलाकों को मिलेगा नया जीवन
यह प्रोग्राम बॉर्डर के करीब बसे गांवों को आत्मनिर्भर और जीवंत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से ही नहीं, बल्कि गांवों की सामाजिक और आर्थिक तरक्की के लिए भी बेहद जरूरी है।