Google Layoffs 2025 : गूगल में काम करना लाखों-करोड़ों युवाओं का सपना होता है, लेकिन अब यह सपना भी असुरक्षित होता जा रहा है। टेक्नोलॉजी की दिग्गज और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार गूगल एक बार फिर छंटनी को लेकर सुर्खियों में है। कंपनी ने हाल ही में सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब गूगल जैसी कंपनियों में भी स्थायी नौकरी की गारंटी नहीं रही।
किन विभागों पर पड़ी गाज?
गूगल की यह छंटनी मुख्य रूप से उसके “प्लेटफॉर्म्स एंड डिवाइसेज़” डिविजन में की गई है, जिसमें एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम, पिक्सल स्मार्टफोन और क्रोम ब्राउज़र जैसे लोकप्रिय उत्पादों पर काम करने वाली टीमें शामिल हैं। ‘द इंफॉर्मेशन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला कंपनी के आंतरिक कामकाज को बेहतर, सरल और कम खर्चीला बनाने की रणनीति के तहत लिया गया है।
गूगल ने पिछले वर्ष अपने प्लेटफॉर्म और डिवाइस डिविजनों को मिलाकर एक संयुक्त इकाई बनाई थी, ताकि कार्यप्रणाली को अधिक चुस्त-दुरुस्त और प्रभावशाली बनाया जा सके। इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अब कुछ भूमिकाओं को समाप्त कर दिया गया है। कंपनी के प्रवक्ता के अनुसार, “हम अपने काम को तेज़ और कुशल बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, और इसी क्रम में कुछ पदों को हटाना पड़ा है।”
हाइब्रिड वर्क मॉडल से नहीं थी संतुष्टि
गूगल ने जनवरी 2025 में अमेरिका में काम कर रही कुछ टीमों के लिए एक वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत वे कर्मचारी जो नई टीम संरचना में खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे, या हाइब्रिड वर्क मॉडल से संतुष्ट नहीं थे, स्वेच्छा से कंपनी छोड़ सकते थे। हालांकि यह योजना केवल एंड्रॉयड, पिक्सल और क्रोम से जुड़ी टीमों तक ही सीमित थी। सर्च और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिविजन के कर्मचारियों को इससे बाहर रखा गया।
पहले भी हो चुकी हैं छंटनियां
यह पहली बार नहीं है जब गूगल ने इस तरह का कदम उठाया है। फरवरी 2025 में भी कंपनी ने अपनी क्लाउड यूनिट में कुछ कर्मचारियों की छंटनी की थी, हालांकि वह छंटनी सीमित स्तर की थी। वहीं, वर्ष 2023 में गूगल ने वैश्विक स्तर पर लगभग 6% कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था, जो एक बड़ी कटौती थी।
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इन तमाम बदलावों के बावजूद गूगल में फिलहाल करीब 1.80 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि लगातार हो रही ये छंटनियां इस बात की ओर इशारा करती हैं कि बड़ी टेक कंपनियां खुद को लगातार बदलते डिजिटल परिवेश में और अधिक स्मार्ट, कुशल और लागत-केंद्रित बनाने में जुटी हुई हैं।