Kulpahar (Mahoba) : कुलपहाड़ क्षेत्र स्थित स्वामी ब्रह्मानंद शिक्षण संस्थान एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने सभी को चौंका दिया है, जिसमें स्कूल के नाबालिग छात्रों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के शारीरिक श्रम करते हुए देखा जा सकता है। यह दृश्य किसी निर्माण कार्य जैसा प्रतीत होता है, जिसे स्कूल परिसर में ही अंजाम दिया जा रहा है।
बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
जहाँ एक ओर स्कूलों (Kulpahar (Mahoba) को बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का माध्यम माना जाता है, वहीं यह वीडियो शिक्षण संस्थानों की ज़िम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। छात्रों से मजदूरी करवाना न सिर्फ “बाल श्रम निषेध कानून” का उल्लंघन है, बल्कि यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
प्राइवेट स्कूलों की कार्यशैली पर उठे सवाल
यह मामला सामने आने के बाद प्राइवेट स्कूलों की कार्यप्रणाली को लेकर समाज में गहरी चिंता देखी जा रही है। क्या निजी संस्थान सिर्फ मुनाफे की दौड़ में बच्चों के अधिकारों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं? यह सवाल अब आमजन के साथ-साथ प्रशासन के समक्ष भी है।
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जांच और कार्रवाई की मांग तेज
स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों ने इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिक्षा विभाग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग से इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अन्य संस्थानों को भी इसी राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। बच्चों से श्रम कराना न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानून की दृष्टि से भी दंडनीय अपराध है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी तत्परता और गंभीरता से कार्रवाई करता है।