Labour Day 2025: हर साल 1 मई को भारत समेत दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस या मई दिवस मनाया जाता है। भारत में इसे श्रमिक दिवस, लेबर डे, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे और वर्कर डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दुनिया भर के मजदूरों और श्रमिक वर्ग की मेहनत और योगदान को सलाम किया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों की मेहनत और उनके संघर्षों का सम्मान करना है। इसके साथ ही यह दिन उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और एकता को मजबूत करने का भी है। कई मजदूर संगठन इस दिन रैलियां, सम्मेलन और सभाएं आयोजित करते हैं।
मजदूर दिवस का इतिहास
मजदूर दिवस मनाने की परंपरा करीब 137 साल पुरानी है। इसकी शुरुआत 1886 में अमेरिका में हुए एक बड़े श्रमिक आंदोलन से जुड़ी हुई है। उस समय अमेरिका में औद्योगिक क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा था और श्रमिकों से 15-15 घंटे काम लिया जाता था। यह स्थिति बहुत ही खतरनाक थी, क्योंकि श्रमिकों को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक काम करना पड़ता था। इस शोषण के खिलाफ अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों ने एक अहम कदम उठाया। इन यूनियनों ने तय किया कि 1 मई 1886 से मजदूरों को एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करना पड़ेगा।
जब यह दिन आया, तो अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों मजदूर हड़ताल पर चले गए। उनका मुख्य उद्देश्य था कि उन्हें उचित और सुरक्षित काम करने की स्थिति मिले। इस आंदोलन के दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिससे कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद, 1889 में पेरिस में हुए इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में 1 मई को मजदूरों के समर्पित करने का फैसला लिया गया। धीरे-धीरे यह दिन दुनिया भर में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को चेन्नई (अब मद्रास) में हुई थी। इसे भारत में ‘लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान’ ने शुरू किया था। इस दिन पहली बार मजदूरों के प्रतीक के रूप में लाल रंग का झंडा इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की शुरुआत थी, जिसे वामपंथी और सोशलिस्ट पार्टियों ने नेतृत्व दिया। इसी दिन से भारत में मजदूरों के हक और उनके अधिकारों की आवाज उठाई जाने लगी।