UP News: उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग एक्शन में क्या आया कि समाजवादियों के होश उड़ गए, पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी मुश्किल में आ सकते है। उम्मीद नहीं थी कि एससी-एसटी आयोग ऐसा फैसला ले लेगा कि अखिलेश का पीडीए भी पिछड़ जाएगा। मसला सविंधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के अपमान से जुड़ा था तो लिहाज़ा इस मुद्दे को भुनाने में पहले तो भाजपा ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, दलित वोट बैंक की राजनीति में विरोध की रणनीति बनाई और समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव को निशाने पर ले लिया। सपा के पोस्टर विवाद में अब एससी-एसटी आयोग की भी एंट्री हो गई।
आयोग (UP News) के अध्यक्ष बैजनाथ रावत समाजवादी लोहिया वाहिनी के पोस्टर में बाबा साहेब की तस्वीर से छेड़छाड़ करने का ना केवल मामला उठाया बल्कि लखनउ पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा और कहा कि पुलिस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत मुकद्मा दर्ज कर सख्त कार्रवाई करें।
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यानि साफ तौर पर आयोग ने पुलिस को आदेश दे दिया कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और पोस्टर में बाबा साहेब की तस्वीर से छेडछाड करने वाले कार्यकर्त्ता के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करे। आयोग के अध्यक्ष ने दो टूक कहा कि समाजवादी पार्टी ने दलित समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है लिहाज़ा 5 मई को अधिकारी के माध्यम से रिपोर्ट को प्रस्तुत किया जाए।
दरअसल समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बाबा साहेब अंबेडकर के साथ अखिलेश यादव का पोस्टर लगाया था। पोस्टर में अखिलेश और अंबेडकर की आधी-आधी तस्वीर दिखाई दे रही है। सपा कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए इस पोस्टर पर सियासत भी तेज हो गई है। भाजपा के नेताओं ने इस कृत्य की तीखी आलोचना करते हुए इसे बाबा साहेब और उनके अनुयायियों का अपमान करार दिया है। बसपा प्रमुख ने भी इसको लेकर सपा प्रमुख पर निशाना साधा था।