India-Pakistan Tension : अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम की औपचारिक घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर श्रीनगर सहित भारत के कई हिस्सों में ड्रोन गतिविधियाँ दर्ज की गईं और धमाकों की आवाज़ें भी सुनाई दीं। इन घटनाओं के बाद पाकिस्तान द्वारा सीजफायर का उल्लंघन किए जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने साफ किया कि भारतीय सेना को इस दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
सीजफायर के ऐलान के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बयान देते हुए भारत पर तीखे आरोप लगाए और पहलगाम की घटना को आधार बनाकर भारत पर युद्ध जैसी स्थिति बनाने का आरोप मढ़ा। उन्होंने भारत को “गीदड़ भभकी” देने का आरोप लगाते हुए चीन को पाकिस्तान का भरोसेमंद साथी बताया। वहीं, भारत के कई शहरों में अब भी एहतियातन ब्लैकआउट लागू है। राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी ड्रोन देखे जाने की पुष्टि हुई है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और भी बढ़ा दी गई है।
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ऑपरेशन सिंदूर पर तीनों सेनाओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू
भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनज़र एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है। इस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत शिवतांडव की धुन के साथ हुई। इस महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में भारतीय थल सेना के महानिदेशक सैन्य अभियान (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, भारतीय वायु सेना के महानिदेशक वायु अभियान (DG Air Ops) एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती, और भारतीय नौसेना के महानिदेशक नौसेना अभियान (DGNO) वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद मौजूद हैं।
जयशंकर ने दिया संदेश
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, 1 मई को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से टेलीफोन पर बातचीत की थी। इस दौरान जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई करेगा। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि पाकिस्तान कोई हमला करता है तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि भारत की सख्त कार्रवाईयों की वजह से पाकिस्तान में हर बीतती रात और ज्यादा तनावपूर्ण होती जा रही है।
भारत ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान से किसी भी तरह की बातचीत केवल तीन मुद्दों पर हो सकती है—पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी, अवैध कब्जों से मुक्ति, और आतंकवादियों का भारत को सौंपा जाना। जहां तक परमाणु हमले की धमकियों का सवाल है, सूत्रों का कहना है कि जयशंकर और रुबियो के बीच इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई। पाकिस्तान अक्सर इस मुद्दे को उठाता रहा है, और उनके मंत्री अब फिर वही बात दोहराने लगे हैं, लेकिन इसमें कुछ नया नहीं है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने चुने सटीक टारगेट
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने अपने लक्ष्यों को बहुत सावधानी से चुना। इसके साथ ही, बेहतर तकनीकी तरीके और उपायों का इस्तेमाल करते हुए हथियारों के चयन में भी बहुत सतर्कता बरती गई। लक्ष्यों के रूप में बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद को चुना गया, क्योंकि ये तीनों स्थान पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित हैं।
बहावलपुर में आतंक के अड्डे पर हमला
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर ब्रह्मोस मिसाइल से हमला किया। इस हमले में भारतीय वायुसेना के Su-30MKI जेट ने मिसाइल को दागा, जिससे आतंकवादी ठिकाने को पूरी तरह तबाह कर दिया। इस ऑपरेशन ने न केवल पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को बड़ा नुकसान पहुंचाया, बल्कि उसकी रक्षा प्रणाली की कमजोरियों को भी उजागर किया। भारत की यह सैन्य ताकत अब दुश्मनों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है।
रावलपिंडी तक गूंज उठी सेना की धमक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को लखनऊ में ब्रह्मोस एकीकरण और परीक्षण सुविधा का उद्घाटन करते हुए भारतीय सेना की शक्ति और पाकिस्तान के खिलाफ किए गए सैनिक अभियानों पर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, “आज का दिन भारतीय सेना के लिए ऐतिहासिक है।” इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में बताया कि भारतीय सेना ने शौर्य, पराक्रम और संयम का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर करारी कार्रवाई करते हुए, हमारी सेनाओं ने न केवल सीमाई क्षेत्र में बल्कि रावलपिंडी तक अपनी ताकत का अहसास कराया, जहां पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय स्थित है। यह हमारी सैन्य ताकत और रणनीतिक क्षमताओं की पुष्टि करता है, जो शांति और सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर है।
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भारत-पाकिस्तान के बीच कैसे हुआ सीजफायर
9 मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत-पाकिस्तान विवाद में दखल से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ये अमेरिका का काम नहीं है, और ट्रंप प्रशासन की नीति के मुताबिक अमेरिका बाहर ही रहेगा। लेकिन अगले ही दिन हालात बदल गए। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों ने चेतावनी दी कि तनाव बढ़ रहा है और हालात बिगड़ सकते हैं।
इसके बाद वॉशिंगटन, दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तेज़ कूटनीतिक बातचीत शुरू हुई। सीआईए, रॉ और आईएसआई जैसे खुफिया संगठनों ने बैकचैनल संपर्क फिर से शुरू किए। भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच भी गुप्त बातचीत हुई। अमेरिका ने सामने आकर कुछ नहीं कहा, लेकिन पर्दे के पीछे उसकी भूमिका अहम रही। 48 घंटे के अंदर गोलीबारी थम गई और दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई। एक बड़ा टकराव टल गया।
पीएम आवास पर चली हाई लेवल सुरक्षा बैठक खत्म
दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास पर आज हुई उच्चस्तरीय बैठक समाप्त हो गई है। इस अहम बैठक में रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) तथा थल, वायु और नौसेना के प्रमुख मौजूद रहे। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वर्तमान सुरक्षा स्थिति और उससे जुड़े तमाम पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी गई। रणनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से यह मीटिंग बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चिदंबरम ने पीएम मोदी की युद्ध नीति की की सराहना
कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने कॉलम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान को दिए गए भारत के जवाब को “संतुलित और समझदारी भरा” करार दिया है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में बदले की मांग जोर पकड़ रही थी, लेकिन सरकार ने सीमित सैन्य कार्रवाई को प्राथमिकता देकर एक बड़े युद्ध की संभावना को टाल दिया।
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भारत से बड़े मुद्दों पर होगी निर्णायक वार्ता
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि भारत के साथ भविष्य में होने वाली किसी भी वार्ता में कश्मीर, सिंधु जल संधि और आतंकवाद जैसे अहम मसले चर्चा का केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये मुद्दे अब भी दोनों देशों के संबंधों में तनाव का मुख्य कारण हैं। शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोकने को लेकर बनी सहमति के बाद जब उनसे संवाद की संभावनाओं पर सवाल किया गया, तो उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी। आसिफ ने संकेत दिया कि यदि बातचीत होती है, तो इन विवादास्पद मुद्दों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।