Overthinking : क्या आप छोटी-छोटी बातों पर भी घंटों सोचते हैं? कोई पुरानी गलती या भविष्य की चिंता आपको चैन से नहीं बैठने देती? अगर हां, तो हो सकता है कि आप ओवरथिंकिंग यानी ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की आदत के शिकार हों। ये आदत धीरे-धीरे हमारी नींद, आत्मविश्वास, रिश्ते और कामकाज पर असर डालती है। आइए जानते हैं इसके साफ़ संकेत और उनसे निपटने के आसान तरीके।
एक ही बात को बार-बार सोचना
अगर आप कोई बात या गलती बार-बार याद कर पछताते हैं, तो ये पहला संकेत है कि आप जरूरत से ज्यादा सोचते हैं।
क्या करें: खुद से पूछें – “क्या अब मैं इसमें कुछ बदल सकता हूं?” अगर नहीं, तो उस सोच से बाहर निकलें।
भविष्य की चिंता करते रहना
“अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा?” ये सोच आपके मन में बार-बार आती है? तो ये चिंता ओवरथिंकिंग का अगला रूप है।
क्या करें: भविष्य की अनिश्चितता को स्वीकार करें और जो आज है, उस पर फोकस करें।
कोई फैसला लेने में बहुत वक्त लगाना
कभी खरीदारी या प्लानिंग में इतना सोचते हैं कि कुछ तय ही नहीं कर पाते? इसे Decision Paralysis कहा जाता है।
क्या करें: हर निर्णय के लिए एक तय समय (जैसे 10 मिनट) तय करें और उस वक्त में ही फैसला लें।
नींद में खलल आना
अगर रात को देर तक नींद नहीं आती या दिमाग लगातार चलता रहता है, तो ये सोचने की ओवरलोडिंग है।
क्या करें: सोने से पहले फोन दूर करें, किताब पढ़ें या ध्यान लगाएं। डायरी में अपने विचार लिखें।
खुद पर शक करना
“मैं अच्छा नहीं हूं”, “मुझसे नहीं होगा” ये सब ओवरथिंकिंग से ही आता है और धीरे-धीरे आत्मविश्वास खत्म कर देता है।
क्या करें: जब भी ऐसा नकारात्मक विचार आए, उसे लिखें और खुद से पूछें “क्या ये सच है?” खुद की उपलब्धियां याद करें।