Operation Sindoor : जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग की शुरुआत हुई थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह संघर्ष इतना लंबा खिंचेगा। लेकिन अब इसी लंबे युद्ध की रणनीति को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपनाने की कोशिश की है। 8 और 9 मई की रात, पाकिस्तान ने एक सुनियोजित साजिश के तहत 500 से अधिक सस्ते और अस्थायी ड्रोन भारतीय सीमा में भेजे। इनका उद्देश्य स्पष्ट रूप से भारतीय सैन्य अड्डों को निशाना बनाना था — लेह से लेकर लद्दाख और गुजरात के सर क्रीक तक फैला एक बड़ा इलाका इनके टारगेट पर था।
हालांकि इनमें से अधिकांश ड्रोन तकनीकी रूप से कमजोर थे और भारतीय वायु रक्षा तंत्र ने उन्हें हवा में ही नष्ट कर दिया। रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व मेजर जनरल राजन कोचर का कहना है कि पाकिस्तान का इरादा सिर्फ डर का माहौल बनाना नहीं था, बल्कि यह एक सीधा हमला था जो भारतीय सुरक्षा को चैलेंज करना चाहता था। पर भारतीय सेना की चौकसी और तैयारियों ने इस साजिश को नाकाम कर दिया।
सिर्फ हमला नहीं, बल्कि जासूसी भी की
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि यह केवल सीमा पार कर ड्रोन भेजने का मामला नहीं था। इस हमले के पीछे एक बहुस्तरीय रणनीति थी — जिसमें भारत की सुरक्षा में कमजोरियों का पता लगाना, रडार कवरेज की सीमा को परखना और हमारे रक्षा संसाधनों की त्वरित प्रतिक्रिया को जांचना शामिल था। सूत्रों के अनुसार, यह पूरी योजना रूस द्वारा यूक्रेन में ईरानी शाहेड ड्रोन के इस्तेमाल से प्रेरित थी, जो पश्चिमी सैन्य तंत्र को चकमा देने के लिए बनाए गए हैं।
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पाकिस्तान (Operation Sindoor) ने भी सस्ते और हल्के ड्रोन इस्तेमाल कर भारत से आंतरिक सुरक्षा डेटा निकालने की कोशिश की। वहीं, भारत ने इन ड्रोन को नष्ट करने के लिए महंगे मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिससे यह रणनीति एक आर्थिक दबाव की चाल भी साबित हुई।
पाकिस्तान ने ड्रोन की किस किस्म का किया इस्तेमाल
पाकिस्तान ने इस हमले में चीनी मूल के वाणिज्यिक ड्रोन, स्थानीय रूप से संशोधित मॉडलों और कुछ तुर्की निर्मित असिसगार्ड सॉन्गर UAVs का भी प्रयोग किया। इनका मुख्य निशाना जम्मू, श्रीनगर, पठानकोट, अमृतसर, भटिंडा, अदमपुर, भुज और सर क्रीक जैसे रणनीतिक भारतीय सैन्य केंद्र थे।
ड्रोन का यह हमला एक “झुंड रणनीति” के तहत किया गया था। इसमें छोटे क्वाडकॉप्टर, मध्यम श्रेणी के यूएवी और उन्हें नियंत्रित करने वाले “मदर ड्रोन” शामिल थे। जांच में यह भी सामने आया है कि अधिकांश ड्रोन विस्फोटक नहीं लेकर आए थे — उनमें केवल कंकड़ जैसे छर्रे या खाली केसिंग थी। इससे संकेत मिलता है कि उनका मुख्य उद्देश्य सीधा हमला नहीं, बल्कि टोही और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी था।