Kasganj court case: कासगंज जिले के गंजडुंडवारा क्षेत्र में अवैध फर्म निर्माण और कूटरचना के एक चर्चित मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को सीजेएम न्यायालय में एक अनोखी स्थिति उत्पन्न हो गई। गवाह सुरेन्द्र विजयवर्गीय करीब पांच घंटे तक कोर्ट में बैठे रहे, लेकिन अभियुक्त पक्ष की ओर से जानबूझकर जिरह से बचने की कोशिश की गई। अभियोजन पक्ष ने इसे चालाकी करार देते हुए विरोध दर्ज कराया। कोर्ट ने समय बर्बाद करने और गवाह को परेशान करने के लिए अभियुक्तों पर ₹300 का हर्जाना लगाया, जो वादी को दिया जाएगा। यह आदेश सीजेएम न्यायाधीश अनुपमा सिंह द्वारा पारित किया गया।
पहले आप, पहले आप: जिरह से बचने की कोशिश
Kasganj मामला चर्चित अवैध फर्म “जवाहरलाल रमेश चंद्र” के नाम पर फर्जीवाड़े से संबंधित है, जिसमें अनिल कुमार गुप्ता और मुनीश कुमार गुप्ता अभियुक्त हैं। गुरुवार को सुनवाई के दौरान वादी सुरेन्द्र विजयवर्गीय की गवाही की प्रक्रिया पूरी की गई, लेकिन जैसे ही अभियुक्त पक्ष की जिरह का समय आया, उनके अधिवक्ताओं ने एक-दूसरे की ओर इशारा करते हुए टालमटोल करना शुरू कर दिया। यह “पहले आप, पहले आप” की स्थिति अदालत में लंबे समय तक चलती रही।
कोर्ट का समय बर्बाद करने पर नाराज हुए जज
पूरा दिन बीतने के बाद जब अदालत का समय समाप्ति की ओर था, अभियुक्त पक्ष की ओर से स्थगन प्रार्थना पत्र पत्रावली में दाखिल किया गया। इसे देख अभियोजन अधिकारी धनंजय ने इसका तीखा विरोध किया और आरोप लगाया कि यह न्यायालय के समय का दुरुपयोग है। सीजेएम कोर्ट की न्यायाधीश अनुपमा सिंह ने अभियोजन की दलील से सहमति जताई और मामले में गंभीरता को देखते हुए अभियुक्तों पर ₹300 का हर्जाना लगाया।
हर्जाना सीधे वादी को देने का आदेश
Kasganj अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह हर्जाना गवाह को हुए मानसिक कष्ट और समय की क्षति की भरपाई के रूप में सीधे वादी सुरेन्द्र विजयवर्गीय को दिया जाएगा। यह निर्णय अदालत के कार्य के सम्मान और न्यायिक प्रक्रिया में अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है।