India China Trade : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) पर 50 प्रतिशत का नया आयात शुल्क लगाकर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। इस फैसले से एक बार फिर ट्रेड वॉर की आशंका गहराने लगी है। इससे पहले ट्रंप प्रशासन चीन पर लगातार टैरिफ लगाता रहा है, और भारत को लेकर भी उन्होंने तीखा बयान देते हुए कहा था कि भारत अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर ‘जीरो टैरिफ’ चाहता है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया था।
EU पर इस टैरिफ के लागू होने के साथ ही दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। अमेरिकी फ्यूचर इंडेक्स में तेज गिरावट आई, जबकि यूरोपीय शेयर बाज़ारों में लगभग 2% तक की गिरावट देखने को मिली। इसके साथ ही, एप्पल जैसे टेक कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट आई और एप्पल के शेयर 3% तक टूट गए।
अमेरिका में बने बिना बिकेगा नहीं स्मार्टफोन
ट्रंप ने EU के अलावा विदेशी निर्माण पर भी निशाना साधा है। उन्होंने अमेरिका के बाहर बने स्मार्टफोन्स पर 25% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसमें Apple के iPhone जैसे लोकप्रिय ब्रांड्स भी शामिल हैं। इसका सीधा मतलब है कि जो कंपनियां अमेरिका में निर्माण नहीं करतीं, उन्हें अपने प्रोडक्ट्स को अमेरिकी बाजार में बेचने के लिए अब भारी शुल्क देना होगा।
ट्रंप का सीधा आरोप
सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने EU पर कड़े आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार वार्ताएं विफल हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि यूरोप अमेरिकी उत्पादों के साथ अनुचित व्यवहार कर रहा है और वहां हमारे सामानों पर तरह-तरह की बंदिशें लगाई जा रही हैं।
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ट्रंप ने लिखा कि यूरोपीय संघ मूल रूप से अमेरिका से व्यापारिक लाभ उठाने के लिए बना था, लेकिन अब उनके साथ डील करना बेहद मुश्किल हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि EU की ओर से लगाए जा रहे वैट टैक्स, ट्रेड बैरियर्स, और कंपनियों पर भारी जुर्माने की वजह से अमेरिका को हर साल 250 करोड़ डॉलर से अधिक का नुकसान हो रहा है।
यूरोपीय संघ ने दिया जवाब
EU की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रॉयटर्स को दिए गए एक बयान में एक प्रवक्ता ने कहा कि वे 15:00 GMT पर सेफकोविक और ग्रीर के बीच होने वाली कॉल के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद ही किसी प्रतिक्रिया पर विचार किया जाएगा।
ट्रंप की क्या है रणनीति ?
डोनाल्ड ट्रंप का उद्देश्य अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और विदेशी कंपनियों पर दबाव बनाकर “फेयर ट्रेड” को बढ़ावा देना है। वे चाहते हैं कि अमेरिका किसी भी अनुचित व्यापार समझौते या शर्तों से मुक्त हो, जिससे घरेलू उत्पादन को बल मिले और अर्थव्यवस्था में मजबूती आए। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ्स से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का दबाव बढ़ सकता है और इसका असर खुद अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।