Story behind Ae Mere Watan Ke Logon song : हम सभी ने बचपन से लेकर अब तक कई बार देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ सुना है। इस गाने की शुरुआत होते ही दिल भावुक हो उठता है और आंखें अपने आप भीग जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह गीत आज से 63 साल पहले पहली बार गाया गया था?
पहली बार कहां गाया गया था यह गीत?
26 जनवरी, 1963 को दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में हुए गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में लता मंगेशकर ने इसे पहली बार गाया था। भारत और चीन के बीच हुए युद्ध को उस समय सिर्फ दो महीने ही बीते थे। स्टेडियम में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी मौजूद थे।
माना जाता है कि जब लता जी ने गाना शुरू किया, तो उनकी आवाज में इतना दर्द और भावना थी कि मंच पर ही उनका गला भर आया। गाना खत्म होते ही पूरे स्टेडियम में एक पल को सन्नाटा छा गया और हर किसी की आंखें नम थीं। खुद पंडित नेहरू भी अपनी भावनाएं रोक नहीं पाए और उनकी आंखों से आंसू निकल आए।
इस गाने को किसने लिखा?
हम में से ज़्यादातर लोग जानते हैं कि इस गीत को लता मंगेशकर ने गाया, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसे लिखा था प्रसिद्ध कवि प्रदीप ने।
साल 1962 में जब भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था, तो कवि प्रदीप मुंबई के माहिम समुद्र किनारे टहल रहे थे। वे युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के बारे में सोचकर बेहद भावुक हो गए थे। उसी वक्त उनके मन में कुछ पंक्तियां आईं। उनके पास कागज़ नहीं था, इसलिए उन्होंने सिगरेट के डिब्बे पर ही गाने की शुरुआती लाइनें लिख दीं।
बाद में जब उन्हें दिल्ली में एक चैरिटी कार्यक्रम के लिए गाना लिखने का प्रस्ताव मिला, तो उन्होंने उन्हीं पंक्तियों को आधार बनाकर गीत तैयार किया। इस गाने को संगीत देने के लिए उन्होंने संगीतकार सी. रामचंद्र से संपर्क किया। फिर लता मंगेशकर ने इसे अपनी भावपूर्ण आवाज में गाया और यह गाना इतिहास में दर्ज हो गया।
आज भी सबसे पसंदीदा देशभक्ति गीत
आज भी ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को देशभक्ति के सबसे भावनात्मक और सशक्त गीतों में गिना जाता है। यह न सिर्फ शहीदों को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि हर भारतीय के दिल को छू जाता है।