Kanwar Yatra rules : कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद खास होती है। हर साल सावन के महीने में लाखों शिवभक्त पवित्र गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। इस दौरान भक्त कठिन तपस्या और श्रद्धा के साथ लंबी दूरी तय करते हैं। लेकिन इस पवित्र यात्रा के कुछ नियम और परंपराएं हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है। अगर इन बातों को नजरअंदाज किया जाए, तो भक्ति का फल मिलने में रुकावट आ सकती है। आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा के दौरान किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।
कांवड़ को ज़मीन पर रखना मना है
कांवड़ यात्रा में सबसे बड़ा नियम यह है कि कांवड़ को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से यात्रा का पुण्यफल खत्म हो सकता है और भगवान शिव नाराज़ हो सकते हैं। जब आप आराम करें तो कांवड़ को किसी स्टैंड या लकड़ी के सहारे टिकाकर रखें।
शारीरिक और मानसिक शुद्धता जरूरी
अगर कोई व्यक्ति नहाया नहीं है, गुस्से में है, गलत विचारों से भरा हुआ है या झूठ बोल रहा है, तो उसे कांवड़ यात्रा नहीं करनी चाहिए। इस यात्रा में शरीरिक और मानसिक पवित्रता जरूरी मानी जाती है। संयम, ब्रह्मचर्य और सात्विक भोजन को अपनाना चाहिए।
नशा और मांसाहार से दूरी बनाए रखें
कांवड़ यात्रा के दौरान शराब पीना, मांसाहार करना या किसी से गाली-गलौज करना बहुत बड़ा धार्मिक अपराध माना जाता है। यात्रा का मकसद भगवान शिव की भक्ति और आत्मशुद्धि होता है, इसलिए हर हाल में पवित्रता बनाए रखें।
दिखावे से बचें
कांवड़ यात्रा भक्ति और विनम्रता का प्रतीक है। इसे सोशल मीडिया पर दिखाना, प्रसिद्धि पाने के लिए यात्रा करना या दूसरों से अपनी तुलना करना भक्तिभाव को कमजोर करता है। इस यात्रा में सच्चे मन से शिवजी की आराधना करनी चाहिए, न कि दिखावा।
अनुशासन बनाए रखना बहुत जरूरी
कांवड़ यात्रा के दौरान सड़क जाम करना, तेज म्यूजिक बजाना, दूसरों को परेशान करना या झगड़ा करना बिल्कुल गलत है। ऐसा करने से आपके पुण्य का लाभ खत्म हो सकता है। यह यात्रा एक अनुशासित और शांतिपूर्ण अनुष्ठान है।
Disclaimer : यह लेख केवल धार्मिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें शामिल जानकारी आम मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं पर आधारित है। News1India इसकी सटीकता की जिम्मेदारी नहीं देता है किसी भी निर्णय से पहले स्थानीय रीति-रिवाजों और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।