लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ रविवार को कुछ अलग रंग में दिखी। मंच पर गृहमंत्री अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम के साथ अन्य नेता व पदाधिकारी मौजूद थे। सभी की नजर अमित शाह पर थीं। लोग टकटकी लगाकर बैठे थे कि बीजेपी के ‘चाणक्य’ क्या बोलेंगे। सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेकर क्या कहेंगे। तभी अमित शाह ने बोलना शुरू किया और सीएम योगी के कामों की जमकर तारीफ की, तो वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को अपना ‘मित्र’ बताकर विपक्षी कुनबे के अंदर हलचल बढ़ा दी।
दरअसल, लखनऊ के वृंदावन योजना सेक्टर 18 स्थित डिफेंस एक्स्पो ग्राउंड में 60244 नवनियुक्त पुलिस कार्मिकों को नियुक्ति पत्र वितरित को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह को आमंत्रण पत्र देकर कार्यक्रम में आने को कहा था। गृहमंत्री अमित शाह यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे और नवनियुक्त पुलिस कार्मिकों को नियुक्ति पत्र देकर उन्हें संबोधित भी किया। अपने संबोधन में अमित शाह ने सीएम योगी की जमकर सराहना की तो वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को अपना मित्र बताया।
कार्यक्रम के दौरान अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ एक मंच पर साथ ही नहीं बल्कि दोनों के बीच बेहतर केमिस्ट्री भी दिखी। अमित शाह और सीएम ने एक दूसरे की जमकर तारीफ की। सीएम योगी ने अपने भाषण के दौरान नौ बार गृह मंत्री के नाम का जिक्र किया, तो अमित शाह ने भी केंद्रीय योजनाओं को सही मायने में जमीन पर उतारने का श्रेय योगी आदित्यनाथ को दिया। इसके साथ ही केशव प्रसाद मौर्य को अमित शाह ने अपना मित्र बताकर संबोधन किया, जिसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। अब सोशल मीडिया में ये दोस्ती गर्दा उड़ा रही है। लोग लिख रहे हैं कि अब बीजेपी में सब ऑल-इज-वेल है।
प्रदेश सरकार ने नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर एक खास प्लान भी बनाया। मंच पर 15 चयनित अभ्यार्थियों को बुलाया गया, जिन्हें अमित शाह ने नियुक्ति पत्र सौंपा। मंच पर नियुक्ति पत्र पाने वाले अभ्यर्थी अलग-अलग जातियों और यूपी के अलग-अलग क्षेत्र के थे। बीजेपी का ये खास प्लान जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिहाज से देखा जा रहा है। योगी सरकार ने जिन 15 लोगों को मंच पर बुलाया था, उसमें 11 अभ्यर्थी दलित-ओबीसी समाज से हैं। इसके अलावा एक मुस्लिम, दो ठाकुर और एक ब्राह्मण समाज से थे। अमित शाह का ये जिस तरह से ज्वाइनिंग लेटर सौंपे, इससे वह सामाजिक न्याय वाले एजेंडे को सेट करते हुए नजर आए।
अमित शाह के हाथों से जिन 15 सिपाहियों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए, उसमें फर्रुखाबाद की शालिनी शाक्य, वाराणसी के मनीष त्रिपाठी,बरेली की शिल्पा सिंह, संत कबीरनगर के सत्यम नायक, लखीमपुर खीरी के प्रेम सागर, उन्नाव के शिवांस पटेल, बलिया के उपेंद्र कुमार यादव, कानपुर देहात के बीनू बाबू, महोबा के योगेंद्र सिंह, लखनऊ की रोशन जहां, कानपुर के आजाद कुशवाहा, गोरखपुर की मिथिलेश भट्ट, बागवत की सचिन सैनी, रायबरेली की सोनी रावत और मऊ की नेहा गोंड शामिल थीं। पूर्वांचल से चार अभ्यार्थी, अवध क्षेत्र के तीन, ऐसे ही कानपुर-बुंदेलखंड से चार, रुहेलखंड से 2 औरपश्चिमी यूपी की दो अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र दिया गया।
पुलिस नियुक्त कार्यक्रम के दौरान मंच पर अमित शाह के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक सहित यूपी सरकार के कई अन्य मंत्री और बीजेपी नेता मंच पर मौजूद थे। सीएम योगी ने अपने संबोधन में अमित शाह का एक-दो बार नहीं बल्कि 9 बार नाम लिया। इसके बाद अमित शाह की बारी आई तो उन्होंने सबसे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम का जिक्र किया और उसके बाद जब डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य नाम लेते हुए अपना मित्र बताया। इस तरह से अमित शाह ने योगी सरकार की तारीफ की, तो दूसरी तरफ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को ‘मित्र’ कहकर सियासी संदेश देने की कवायद की है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से चर्चा रही है कि सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के बीच सियासी तालमेल नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद कई कार्यक्रमों में दोनों नेताओं की बीच दूरियां भी देखी गई हैं। केशव प्रसाद मौर्य कई बार सवाल भी खड़े करते रहे हैं। ऐसे में अमित शाह का योगी सरकार की तारीफ के साथ-साथ केशव प्रसाद मौर्य को मित्र बताकर सियासी संदेश देने की कोशिश की है कि दोनों नेताओं की अहमियत बराबर है। अब सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि सीएम योगी और डिप्टी सीएम मिलकर जनता की सेवा कर रहे हैं। दोनों के परिश्रम का लाभ यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिलेगा।
यूपी में जब पहली बार 2017 में बीजेपी की सरकार बनी थी, तो उस वक्त केशव प्रसाद मौर्य का नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में भी प्रमुखता से चल रहा था। मौर्य न केवल उपमुख्यमंत्री हैं बल्कि ओबीसी वर्ग का एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के सामाजिक समीकरणों में उनकी भूमिका अहम रही है। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के बड़े चेहरे बनकर उभरे हैं और सवर्ण समुदाय से आते हैं। ऐसे में अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य को अपना मित्र बताया, तो योगी सरकार के कामों की तारीफ करके जातीय समीकरण साधने का दांव चला है।
अमित शाह ने मंच से सीएम योगी के कामों की तारीफ करते हुए कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद कई योजनाएं बनीं, लेकिन यूपी में इन्हें धरातल पर 2017 के बाद योगी सरकार ने उतारा। यूपी केंद्र की हर स्कीम में आज नंबर वन है। शाह ने कहा कि आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही थी, लेकिन 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस ने नई बुलंदियों को छूना शुरू किया। शाह ने जोर देकर कहा कि यूपी अब दंगों का गढ़ नहीं रहा, बल्कि दंगामुक्त हो चुका है और गुंडों का फरमान अब नहीं चलता। अमित शाह ने कहा कि पहले की सरकारों के वक्त पैसा-पर्ची का खेल चलता था, लेकिन अब नौकरी योग्यता रखने वालों को मिल रही हैं।