Iran Israel conflict: तेहरान और तेल अवीव के बीच जारी टकराव शनिवार को तब और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया, जब ईरान ने अमेरिका और इजरायल द्वारा अपने परमाणु केंद्रों पर किए गए हमलों के जवाब में इजरायल के प्रमुख शहरों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर दिया। इस जवाबी कार्रवाई में तेल अवीव, हाइफा और यरुशलम सहित 10 शहर निशाने पर रहे। इससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई और इजरायल ने अपना हवाई क्षेत्र तत्काल बंद कर दिया। इजरायली सेना ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए ईरान के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे संघर्ष और अधिक उग्र हो गया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तत्काल युद्धविराम की अपील की है, लेकिन दोनों पक्षों के रुख से संघर्ष के और बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
अमेरिकी-इजरायली हमलों ने बढ़ाया तनाव
13 जून, 2025 को शुरू हुए “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत अमेरिका और इजरायल ने मिलकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। नतांज और फोर्डो जैसे अत्यंत संवेदनशील परमाणु प्रतिष्ठानों पर सटीक मिसाइलें दागी गईं। अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, ये हमले ईरान की “परमाणु野 ambitions” को रोकने के उद्देश्य से किए गए थे। इस ऑपरेशन में कम से कम 865 ईरानी नागरिक, वैज्ञानिक और सैन्यकर्मी मारे गए, और कई प्रमुख परमाणु संयंत्रों को भारी क्षति पहुंची।
इन हमलों के बाद ईरान में गुस्सा भड़क उठा। सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका और इजरायल को “गंभीर परिणाम” भुगतने की चेतावनी दी। इसके साथ ही “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III” का आगाज़ हुआ, जिसमें ईरान ने सीधे इजरायल पर व्यापक मिसाइल हमला किया।
ईरानी हमले में 10 इजरायली शहर बने निशाना
इस Iran Israel हमले में ईरान ने दो चरणों में कम से कम 27 बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल की ओर दागीं। इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) के अनुसार, ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी ली। मिसाइलों और ड्रोनों की बरसात मुख्यतः इजरायल के घनी आबादी वाले शहरों – तेल अवीव, हाइफा, यरुशलम, बीरशेबा, नेस त्जिओना, अश्दोद, अश्केलोन, कफ़र सबा, नहारिया और रमल्ला पर हुई।
तेल अवीव के एक आवासीय क्षेत्र में मिसाइल गिरने से 13 लोग घायल हो गए, जबकि नेस त्जिओना में घरों को नुकसान पहुंचा और 6 अन्य नागरिक घायल हुए। बीरशेबा स्थित सोरोका मेडिकल सेंटर में भीषण आग लग गई और मरीजों को तत्काल बाहर निकाला गया।
हाइफा में एक इजरायली एयर डिफेंस इंटरसेप्टर के फेल होने के कारण वह जमीन पर आ गिरा, जिससे तीन नागरिक घायल हुए। सायरन न बजने को लेकर उठे सवालों पर आईडीएफ ने सफाई दी कि कोई मिसाइल सीधे हाइफा की ओर नहीं आ रही थी, इसलिए वहां सेलफोन अलर्ट प्रणाली सक्रिय की गई।
क्या ईरान ने क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया?
आईडीएफ इस बात की जांच कर रहा है कि क्या ईरान ने इस हमले में क्लस्टर बमों का भी इस्तेमाल किया, जैसा कि पहले की कार्रवाई में आरोप लगे थे। क्लस्टर बम अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत विवादास्पद हथियार हैं, क्योंकि ये अनियमित क्षेत्रों में व्यापक हानि पहुंचाते हैं, खासकर नागरिक क्षेत्रों में। हालांकि, अभी तक ऐसे किसी उपयोग की पुष्टि नहीं हुई है।
इजरायल का हवाई क्षेत्र पूरी तरह बंद
ईरानी मिसाइल हमले (Iran Israel) के तुरंत बाद, इजरायली एयरपोर्ट अथॉरिटी ने देश के हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया। इस कदम के तहत सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी गईं। इजरायल की प्रमुख एयरलाइंस एल अल और अर्किया ने भी अपनी सभी सेवाएं स्थगित कर दीं।
हालांकि, मिस्र और जॉर्डन के साथ स्थित सीमावर्ती क्रॉसिंग खुले रखे गए हैं ताकि देश में फंसे नागरिकों और पर्यटकों को निकाला जा सके। हजारों यात्री विभिन्न हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है।
आईडीएफ की कड़ी जवाबी कार्रवाई
ईरान के मिसाइल हमले के बाद, इजरायली रक्षा बलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। आईडीएफ के जेट विमानों ने पश्चिमी ईरान में कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इनमें मिसाइल लॉन्चर, कमांड सेंटर और आईआरजीसी के हथियार गोदाम शामिल थे।
आईडीएफ (Iran Israel) ने यह भी दावा किया कि उन्होंने उन सभी लॉन्चरों को नष्ट कर दिया है, जो इजरायली क्षेत्र की ओर मिसाइलें दाग रहे थे। रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने दोहराया कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान का “परमाणु खतरा” पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता।
मैक्सर टेक्नोलॉजीज़ द्वारा जारी उपग्रह चित्रों से पुष्टि हुई है कि तेहरान के गर्मदारेह इलाके में एक मिसाइल बेस, पिरानशहर में एक रडार साइट और इस्फहान के पास एक सैन्य परिसर को व्यापक क्षति हुई है। इसके अलावा ईरान के तेल और गैस प्रतिष्ठान भी हमलों की चपेट में आए, जिससे ईरानी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा है।
मानवता पर बढ़ता संकट और वैश्विक प्रतिक्रिया
इस संघर्ष में मानवीय हानि निरंतर बढ़ रही है। 10 दिनों के अंदर इजरायल में 24 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से अधिक घायल हुए हैं। वहीं ईरान में मरने वालों की संख्या 865 तक पहुंच गई है और 3,396 से अधिक घायल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव (Iran Israel) एंटोनियो गुटेरेस ने तत्काल युद्धविराम की मांग की है और चेतावनी दी है कि यह टकराव पूरे क्षेत्र को युद्ध में झोंक सकता है। रूस और चीन ने इजरायल और अमेरिका की कार्रवाइयों की निंदा की है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजरायल की “हिम्मत और संकल्प” की सराहना की है।
भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है और उन्हें तेल अवीव स्थित दूतावास के साथ पंजीकरण कराने की सलाह दी है। साथ ही विशेष हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।
क्या रुक पाएगा यह युद्ध?
ईरान और इजरायल (Iran Israel) दोनों ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। खामेनेई और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन दोनों ने “लड़ाई जारी रखने” की बात कही है। वहीं नेतन्याहू ने परमाणु खतरे को खत्म करने की प्रतिबद्धता दोहराई है और ईरान पर “आतंकी नेटवर्क” चलाने का आरोप लगाया है।
आईडीएफ हाई अलर्ट पर है, बम शेल्टरों को फिर से सक्रिय किया गया है, और रिजर्व सैनिकों को तैनात किया जा रहा है। वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह चुनौती है कि वह किस प्रकार इस बढ़ते संघर्ष को रोक सके।
विश्लेषकों का मानना है कि परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले और संभावित गैर-पारंपरिक हथियारों के प्रयोग की आशंका इस टकराव को एक भयावह युद्ध में तब्दील कर सकती है – जिसकी गूंज सिर्फ मध्य पूर्व नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई दे सकती है।
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