Make Poda Pitha at Home: पुरी में हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बहुत धूमधाम से निकाली जाती है। इस यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त हिस्सा लेते हैं। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। इस दौरान भगवान को बच्चों की तरह प्यार और सेवा दी जाती है। उन्हें ओडिशा की खास मिठाई पोड़ा पीठा का भोग लगाया जाता है। अगर आप इस बार रथ यात्रा में नहीं जा पाए हैं, तो घर पर यह मिठाई बनाकर भगवान को भोग अर्पण कर सकते हैं।
पोड़ा पीठा क्या है?
पोड़ा पीठा ओडिशा की पारंपरिक मिठाई है, जो देखने में केक जैसी होती है। “पोड़ा” का मतलब होता है थोड़ा जला हुआ, और “पीठा” का मतलब है केक जैसा व्यंजन। इसे धीमी आंच पर पकाया जाता है, जिससे इसका निचला हिस्सा थोड़ा सा भूरा और कुरकुरा हो जाता है। इसका स्वाद हल्का सा स्मोकी होता है, जो इसे खास बनाता है।
आवश्यक सामग्री
चावल – 2 कप (भिगोकर दरदरा पीस लें)
गुड़ – 1 कप (कटा या क्रश किया हुआ)
नारियल – आधा कप (बारीक कटा)
काजू और किशमिश – आधा कप
अदरक – 1 इंच (कद्दूकस किया हुआ)
इलायची पाउडर – आधा चम्मच
काली मिर्च (दरदरी) – आधा चम्मच
देसी घी – 3 से 4 बड़े चम्मच
नमक – 2 चुटकी
केले के पत्ते – 2
बनाने की तैयारी
सबसे पहले चावल को दो से तीन घंटे पानी में भिगोकर दरदरा पीस लें। नारियल, काजू और किशमिश को काटकर तैयार रखें। गुड़ को भी छोटे टुकड़ों में काट लें या मसल लें ताकि पिघलाने में आसानी हो। सारी सामग्री पास रखें, जिससे बनाते समय परेशानी न हो।
मिश्रण तैयार करना
एक कड़ाही में गुड़ को थोड़े पानी के साथ पिघलाएं। जब गुड़ पूरी तरह से घुल जाए तो उसमें नारियल, किशमिश, काजू, अदरक, इलायची पाउडर, काली मिर्च और नमक डालें। इसे कुछ देर पकाएं। अब चावल का पेस्ट डालें और धीरे-धीरे चलाते रहें ताकि कोई गांठ न पड़े। जब यह मिश्रण गाढ़ा और पक जाए, तब यह पोड़ा पीठा का बेस तैयार हो जाएगा।
पीठा पकाने का तरीका
एक मोटे तले वाली कड़ाही लें और उसमें नीचे केले का पत्ता रखें जिस पर घी लगा हो। अब तैयार मिश्रण को उसमें फैलाएं और ऊपर से दूसरा पत्ता रखकर अच्छे से ढक दें। अब इसे धीमी आंच पर पकाएं पारंपरिक तौर पर कोयले की अंगीठी पर, लेकिन गैस पर भी बना सकते हैं। पकने में लगभग 1 से 1.5 घंटा लग सकता है। चाकू डालकर चेक करें ।अगर मिश्रण नहीं चिपक रहा है, तो पीठा तैयार है। इसे मनचाहे टुकड़ों में काटकर भगवान को भोग लगाएं और फिर सबको प्रसाद बांटें।