Nanda Devi Peak Reopens : नंदा देवी पर्वत उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 7,816 मीटर है, जिससे यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी बनती है। दुनिया भर में यह 23वीं सबसे ऊंची चोटी मानी जाती है। चारों ओर से बर्फीली चोटियों और ग्लेशियर से घिरा यह पर्वत नंदा देवी नेशनल पार्क के भीतर आता है, जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इस इलाके में कई दुर्लभ वन्य जीव और पक्षी पाए जाते हैं।
क्यों है यह चोटी इतनी खास?
नंदा देवी को हिमालय की पुत्री और देवी पार्वती का रूप माना जाता है। यह उत्तराखंड के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां से जुड़ी एक प्रसिद्ध यात्रा नंदा देवी राजजात यात्रा हर 12 साल में निकलती है, जो बेहद कठिन मानी जाती है। इसे ‘हिमालय का कुंभ’ भी कहा जाता है।
आखिर क्यों किया गया था बंद?
1983 में नंदा देवी पर्वत पर चढ़ाई पर रोक लगा दी गई थी। उससे पहले 1970 के दशक में भारत और अमेरिका ने मिलकर एक गुप्त मिशन के तहत नंदा देवी पर न्यूक्लियर डिवाइस लगाने की कोशिश की थी, ताकि चीन पर नजर रखी जा सके। लेकिन वह डिवाइस कहीं खो गया, जिससे पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया। इसी वजह से इसे पर्वतारोहियों के लिए बंद कर दिया गया।
अब क्यों खोला जा रहा है?
उत्तराखंड सरकार, इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (IMF) और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट मिलकर नंदा देवी को फिर से पर्वतारोहियों के लिए खोलने की तैयारी में हैं। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार की इको-टूरिज्म पहल का भी यह हिस्सा है। इसके तहत बागेश्वर और उत्तरकाशी की कुछ और चोटियों को भी खोलने पर विचार किया जा रहा है।
पर्वतारोहियों को क्या रखना होगा ध्यान?
नंदा देवी की चढ़ाई बहुत कठिन है, इसलिए यहां जाने से पहले अनुभव जरूरी है।
सभी को परमिट और रजिस्ट्रेशन लेना होगा।
अकेले जाना मना है, सिर्फ मान्यता प्राप्त एजेंसियों के साथ ही ट्रेकिंग की इजाजत होगी।
स्थानीय संस्कृति, आस्था और नियमों का सम्मान करना जरूरी होगा।
नंदा देवी, आस्था और संस्कृति का प्रतीक
उत्तराखंड के लोगों के लिए नंदा देवी सिर्फ एक पर्वत नहीं, बल्कि शक्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। उनसे जुड़ी कहानियां, त्यौहार और परंपराएं आज भी लोगों के जीवन का हिस्सा हैं। माना जाता है कि देवी नंदा की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ही पर्वतारोहण की अनुमति दी जाएगी। यह पहल उत्तराखंड को नए आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।