Sawan and snake: सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है। इस साल यह शुभ महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 22 जुलाई को शिवरात्रि के दिन समाप्त हो रहा है। मान्यता है कि इस पवित्र माह में भगवान शिव धरती पर अपने भक्तों के बीच विचरण करते हैं। उनके गले में हमेशा एक जीवित सांप रहता है, जो इस बात का प्रतीक है कि डर से भागने की बजाय उसे काबू में करना चाहिए। अब सवाल ये उठता है कि अगर इस पावन महीने में किसी को सांप दिख जाए, खासकर जीवित सांप, तो उसका क्या मतलब होता है? यह सवाल बहुतों के मन में आता है। आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे संकेतों के बारे में।
भगवान शिव का आशीर्वाद
अगर सावन के महीने में आपको जीवित सांप दिखे तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सांप भगवान शिव का प्रतीक होते हैं और यदि वे इस महीने में नजर आएं तो समझिए कि भगवान शिव ने आपको दर्शन दिए हैं। इसका मतलब है कि भगवान आपसे प्रसन्न हैं और आपको आशीर्वाद देना चाहते हैं।
मन की इच्छा पूरी होने के संकेत
सावन में सांप दिखना यह भी दर्शाता है कि आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होने वाली हैं। जो भी कार्य लंबे समय से रुके हुए हैं, वे भगवान शिव की कृपा से पूरे हो सकते हैं। इससे आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
अचानक धन लाभ का संकेत
अगर आपको इस दौरान सफेद सांप दिख जाए तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सफेद सांप दिखना इस बात का संकेत होता है कि आपको किसी पुराने निवेश या स्रोत से अचानक धन लाभ हो सकता है। यह आर्थिक रूप से आपके लिए फायदेमंद समय हो सकता है।
शुभ समाचार या मुलाकात का इशारा
अगर आपको मंदिर के पास या शिवलिंग के ऊपर लिपटा हुआ सांप दिखे, तो यह किसी खास व्यक्ति से मिलने या कोई अच्छा समाचार मिलने का संकेत हो सकता है। यह समय आपके लिए नए अवसरों का द्वार खोल सकता है।
मरा हुआ सांप देखना
हालांकि सावन में जीवित सांप दिखना शुभ होता है, लेकिन अगर किसी को मरा हुआ सांप दिखे, तो यह चिंता का कारण हो सकता है। इसे भविष्य में आने वाली किसी परेशानी या रुकावट का संकेत माना जाता है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा कर उनसे मार्गदर्शन और सुरक्षा की प्रार्थना करनी चाहिए।
सावन में सांप दिखना आम बात नहीं है, लेकिन अगर दिख जाए तो इसे डर का कारण नहीं समझना चाहिए। यह भगवान शिव का एक संकेत हो सकता है कि वे आपके करीब हैं और आपका मार्गदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि ये मान्यताएं धार्मिक विश्वास और लोक कथाओं पर आधारित हैं। इन्हें पूरी तरह सच मानने की बजाय श्रद्धा और समझदारी से देखना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह लेख पारंपरिक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है।