Vijay Shekhar Sharma Paytm journey: विजय शेखर शर्मा, एक ऐसा नाम है जिसे आज हर कोई Paytm के ज़रिए जानता है। लेकिन उनकी यह कामयाबी एक दिन में नहीं मिली। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में 1978 में एक सामान्य शिक्षक परिवार में जन्मे विजय बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थे। उन्होंने सिर्फ 15 साल की उम्र में 12वीं पास कर ली और 17 साल में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया।कॉलेज पहुंचते ही सबसे पहली दिक्कत आई अंग्रेज़ी भाषा की। हिंदी माध्यम से पढ़े विजय को क्लास में कुछ भी समझ नहीं आता था। प्रोफेसरों की बातें और सहपाठियों की अंग्रेज़ी उन्हें डरा देती थी। लेकिन हार मानने के बजाय, उन्होंने हिंदी-इंग्लिश डिक्शनरी के सहारे खुद को धीरे-धीरे मजबूत किया।
तकनीक से दोस्ती और पहला स्टार्टअप
कॉलेज के दिनों में ही विजय ने इंटरनेट की ताकत को पहचाना। उन्होंने वेबसाइट बनाना सीखा और एक दोस्त के साथ मिलकर “indiasite.net” नाम की साइट बनाई। इस वेबसाइट को 1999 में 10 लाख डॉलर में बेच दिया गया। इसके बाद उन्होंने One97 Communications नाम की कंपनी शुरू की, जो बाद में Paytm की जननी बनी। हालांकि यह सफर आसान नहीं था। पैसे की तंगी ने उन्हें कई बार झकझोरा। घर का किराया तक भरना मुश्किल हो गया था। एक बार तो पार्टनर के झांसे में आकर उन्होंने कुछ कागज़ों पर साइन कर दिए और धोखा खा गए। उन्हें अपनी ही कंपनी से बाहर कर दिया गया। मगर विजय रुके नहीं।
Paytm: एक आइडिया जो बन गया क्रांति
साल 2010 में विजय ने Paytm की शुरुआत की। उस वक्त मोबाइल से पेमेंट का सोचकर ही लोग घबरा जाते थे। किसी को भरोसा नहीं था कि फोन से पैसे भेजे या मंगवाए जा सकते हैं। निवेशकों ने भी कई बार मना किया। लेकिन विजय ने उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने पहले मोबाइल रिचार्ज और बिल भुगतान की सुविधा दी, जो लोगों को पसंद आई। धीरे-धीरे Paytm में ट्रेन टिकट, बिजली-पानी के बिल, शॉपिंग और दुकानों पर पेमेंट जैसी सुविधाएं जुड़ती गईं। 2016 की नोटबंदी ने Paytm को एक बड़ा मौका दिया और फिर पीछे मुड़कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
मुसीबतों से जीत तक
पेटीएम को खड़ा करने के लिए विजय ने अपने शेयर तक गिरवी रख दिए। कई बार हालात इतने खराब हुए कि कंपनी बंद होने की कगार पर आ गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2017 तक Paytm भारत का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म बन चुका था और विजय देश के सबसे युवा अरबपति बन गए।