Shibu Soren Death: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के कद्दावर नेता शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने सोमवार सुबह 8:48 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती थे। उनके निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री और बेटे हेमंत सोरेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम बड़े नेताओं ने गहरा शोक जताया है।
तीन दिन का राजकीय शोक
शिबू सोरेन के सम्मान में झारखंड सरकार ने 4 से 6 अगस्त तक तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। 4 और 5 अगस्त को राज्य के सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। झारखंड की राजनीति में ‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने अपने जीवन को आदिवासियों और वंचितों की आवाज बनने में लगा दिया।
झारखंड की माटी ने आज अपना सबसे बड़ा सपूत खो दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 81 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और किडनी से जुड़ी समस्याओं का इलाज करवा रहे थे।
उनके निधन की खबर जैसे ही सामने आई, पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई।
जनजातीय समाज की बुलंद आवाज
‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने अपना पूरा जीवन आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने न सिर्फ झारखंड को एक अलग राज्य के रूप में पहचान दिलाई, बल्कि आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने का ऐतिहासिक कार्य किया।
तीन बार मुख्यमंत्री, आठ बार सांसद
शिबू सोरेन 2005, 2008 और 2009 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने। हालांकि राजनीतिक परिस्थितियों के कारण वह कभी भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इसके अलावा उन्होंने आठ बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा का प्रतिनिधित्व किया। केंद्र सरकार में वह तीन बार कोयला मंत्री भी रहे।
जीवनभर संघर्ष का प्रतीक
उनका राजनीतिक सफर आसान नहीं था। 1977 में उन्हें पहली बार चुनाव में हार मिली, लेकिन 1980 में उन्होंने संसद में कदम रखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने हमेशा जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और समाज के अंतिम व्यक्ति की चिंता की।
शोक संदेशों का तांता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत देश के कई बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने कहा कि शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे जिन्होंने गरीबों और आदिवासियों के लिए अपना जीवन समर्पित किया। वहीं, हेमंत सोरेन ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “आज मैं शून्य हो गया हूं।”
एक नेता, जिसने झारखंड को दिलाई पहचान
शिबू सोरेन झारखंड को बिहार से अलग राज्य बनवाने की लड़ाई में सबसे आगे थे। वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन दुर्भाग्यवश एक भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 2005, 2008 और 2009 में वह मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के चलते उनका कार्यकाल छोटा रहा।
केंद्र में भी निभाई अहम भूमिका
राज्य के साथ-साथ शिबू सोरेन ने केंद्र की राजनीति में भी अपना प्रभाव छोड़ा। वह कुल आठ बार लोकसभा सांसद रहे और तीन बार कोयला मंत्री का पदभार संभाला। 1980 से लेकर 2014 तक वह कई बार दुमका से सांसद चुने गए। नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकार में उन्होंने मंत्री पद पर काम किया। फिलहाल वे राज्यसभा सांसद थे।
निजी जीवन और राजनीतिक संघर्ष
1977 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार मिली थी, लेकिन 1980 में जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने अपने जीवन में आदिवासी समाज के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए संघर्ष किया। उनके निधन से झारखंड ही नहीं, पूरे देश ने एक जमीनी नेता को खो दिया है।
News1india का श्रद्धांजलि संदेश:
देश और झारखंड की राजनीति को नई दिशा देने वाले, संघर्ष और सेवा के प्रतीक शिबू सोरेन को शत्-शत् नमन। गुरुजी का योगदान युगों तक याद रखा जाएगा।
ॐ शांति।