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कोई CA, कोई प्रोफेसर — प्रेमानंद महाराज के साथ हर पल नजर आने वाले ‘5 पांडव’ कौन हैं?

प्रेमानंद महाराज के पाँच प्रमुख शिष्य ऐसे हैं जो हर समय उनके साथ दिखाई देते हैं। ये सभी शिष्य पहले विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत थे, लेकिन महाराज के सिद्धांतों और विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने दुनियावी जीवन को छोड़ दिया।

by Gulshan
August 15, 2025
in Latest News, राष्ट्रीय
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Premananda Maharaj
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Premananda Maharaj : वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में प्रेमानंद महाराज के दर्शन और आशीर्वाद के लिए हर दिन देश-विदेश से श्रद्धालु जुटते हैं। हाल ही में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा के साथ यहां पहुंचीं। बताया जा रहा है कि राज कुंद्रा ने महाराज के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए उन्हें अपनी एक किडनी तक दान करने की इच्छा जाहिर की। यह खबर सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा में रही। इसी के साथ अब लोग महाराज के उन पांच खास शिष्यों के बारे में भी जानना चाहते हैं जो हर समय उनके साथ दिखाई देते हैं। इन शिष्यों को अनुयायी प्रेमपूर्वक ‘पांच पांडव’ कहकर बुलाते हैं। इनका जीवन किसी समय आम लोगों जैसा था—कोई सेना में अधिकारी था, कोई प्रोफेसर, कोई सीए और कोई व्यापारी।

बाबा नवल नगरी

इन पांचों शिष्यों में सबसे प्रमुख नाम है बाबा नवल नगरी का। वे पंजाब के पठानकोट स्थित एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 2008 से 2017 तक वे भारतीय सेना में अफसर रहे। कारगिल में उनकी तैनाती के दौरान वे वृंदावन आए और प्रेमानंद महाराज के सत्संग में शामिल हुए। इस एक मुलाकात ने उनकी सोच को नया आयाम दिया और 2017 में उन्होंने सेना से इस्तीफा देकर अपना जीवन आध्यात्मिक सेवा को समर्पित कर दिया। आज वे महाराज के सबसे नजदीकी शिष्य माने जाते हैं।

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किताबों से निकलकर भक्त बने महामधुरी बाबा

दूसरे शिष्य महामधुरी बाबा, पीलीभीत के निवासी हैं। वे एक डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। एक बार अपने भाई के साथ महाराज के दर्शन करने आए और उनके विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ दी। तब से वे केली कुंज आश्रम में रहकर महाराज की सेवा में लगे हुए हैं।

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श्यामा शरण बाबा का कैसा जीवन ? 

तीसरे शिष्य हैं श्यामा शरण बाबा, जो रिश्ते में प्रेमानंद महाराज के भतीजे लगते हैं। उनका जन्म कानपुर के सर्सौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ, जो स्वयं महाराज का पैतृक गांव है। बचपन से ही उन्होंने महाराज की कथाओं और जीवन से प्रेरणा ली। समय के साथ उन्होंने दीक्षा ली और अब महाराज की छाया की तरह हर समय उनके साथ रहते हैं।

आनंद प्रसाद बाबा सांसारिकता से सेवा तक

चौथे शिष्य हैं आनंद प्रसाद बाबा, जो एक समय फुटवेयर व्यवसायी थे। सांसारिक जीवन की भागदौड़ से थककर उन्होंने सब कुछ छोड़ प्रेमानंद महाराज की शरण ले ली। आज वे आश्रम के सभी प्रशासनिक कार्य संभालते हैं।
पांचवें हैं अलबेलिशरण बाबा, जो वृंदावन आने से पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने भी सांसारिक जीवन को त्यागकर सेवा का मार्ग चुना।

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हर परिक्रमा में साथ होते हैं महाराज के ये पांच रत्न 

चाहे रात्रिकालीन परिक्रमा हो या सत्संग, ये पांचों शिष्य हमेशा महाराज के साथ होते हैं। आश्रम आने वाले श्रद्धालुओं का परिचय ये ही महाराज से कराते हैं और उन्हें प्रश्न पूछने का अवसर भी प्रदान करते हैं। परिक्रमा की संपूर्ण व्यवस्था का जिम्मा भी इन्हीं के कंधों पर होता है। ये सभी शिष्य अपने-अपने क्षेत्र में सफल जीवन जी रहे थे, लेकिन प्रेमानंद महाराज के विचारों से प्रभावित होकर इन्होंने सांसारिक जीवन को पूरी तरह त्याग दिया और अब अपना संपूर्ण जीवन भक्ति और सेवा को समर्पित कर चुके हैं।

Tags: Premananda Maharaj
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