नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। नेपाल के उदय के बाद पहली बार देश में युवा बिग्रेड ने डिजिटल क्रांति का शंखनाद कर तहलका मचा दिया। काडमांडु से लेकर पूरे नेपाल में लड़के-लड़कियों ने ऐसी गदर काटी की ओली सरकार हिल गई। सेना ने बम-बारूद की बारिश की। दर्जनों प्रदर्शनकारी मारे गए, सैकड़ों युवा पुलिस की गोली से घायल भी हुए। बावजूद यूथ बिग्रेड ने सरेंडर नहीं किया। संसद, राष्ट्रपति और पीएम आवास पर कब्जा कर लिया और पीएम ओली को हथियार डालकर सरेंडर करने का अल्टीमेटम दे डाला। प्रदर्शनकारियों के लाठी और नारों की हुंकार से ओली सरकार हिल गई। युवाओं की क्रांति के आगे पीएम ओली को सरेंडर करना पड़ा। युवाओं की ताकत को देख सेना ने भी पैर पीछे खीच लिए और आखिर में नेपाल में ओली सरकार का तख्तापलट हो गया। पीएम ओली ने अपना इस्तीफा देते हुए अंडरग्राउंड हो गए। ऐसी खबर है कि वह परिवार के साथ दुबई भागने वाले हैं।
सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को नेपाल में लोगों ने जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। हजारों युवा सड़कों पर उतर आए और संसद भवन पर घुस गए। संसद की इमारत के कई हिस्सों को आग के हवाले कर दिया। सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू के गैस के गोले दागे। प्रदर्शनकारी उग्र हो गए, तब सुरक्षाबल के जवानों को फायरिंग करनी पड़ी। गोली लगने से 300 सौ से अधिक लोग घायल हो गए, तो वहीं 20 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जिसके बाद ये आग पूरे देश में फैल गई। हजारों लड़के और लड़कियां लाठी और हाथ में नेपाल का झंडा लेकर ओली सरकार के खिलाफ यलगार कर दिया। सेना के हाथों में हथियार थे, जबकि प्रदर्शनकारी लाठी और बैनर के जरिए जवाब दे रहे थे। रात में हालात ऐसे बिगड़ गए कि सेना को भी अपने पीर पीछे खींचने पड़े। ओली सरकार को भी सरेंडर करने पर मजहूर होना पड़ा। सुबह आते-आते प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, पीएम आवास पर कब्जा कर चुके थे।
नेपाल सरकार के सभी मंत्री और आलाधिकारी अंडरग्राउंड हो गए। उन्हें सेना ने गुप्त ठिकानों पर छिपाया। आखिर में पीएम ओली ने अपने पद से रिजाइन कर दिया। ओली सरकार के 10 मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया। अधिकतर राज्यों के सीएम ने भी कुर्सी छोड़ दी।
इनसब के बीच ऐसी खबरें हैं कि पीएम केपी शर्मा ओली दुबई भाग सकते हैं। नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इलाज करवाने के लिए दुबई जा सकते हैं। नेपाली प्रधानमंत्री के दुबई जाने की संभावना को लेकर रिपोर्ट उस वक्त आई है, जब नेपाल में दर्जनों जगहों पर दूसरे दिन भी छात्रों का प्रदर्शन जारी है और हिंसा हो रही है। युवाओं का कहना है कि केपी शर्मा ओली को अरेस्ट किया जाए। उनके मंत्रियों को भी सलाखों के पीछे भेजा जाए। क्योंकि सेना और पुलिस ने इन्हीं लोगों के कहने पर युवाओं के सीनों में गोली मारी। 20 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए। सैकड़ों अस्पताल में भर्ती हैं। युवाओं ने एयरपोर्ट पर भी कब्जा कर लिया है। ओली शर्मा के भागने के सारे रास्तों पर युवाओं का पहरा है।
दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों ने नेपाल के राष्ट्रपति के निजी आवास को फूंक दिया है। जबकि सरकार ने त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (टीआईए) के कर्मचारियों को वीआईपी यातायात के प्रबंधन के लिए हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। माना जा रहा है कि लोगों के आक्रोश से बचने के लिए कई नेता देश छोड़कर फरार हो सकते हैं। टीआईए के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि एक अनौपचारिक निर्देश जारी किया गया है। यह संभावना है कि नेता, काठमांडू को असुरक्षित मानते हुए, यात्रा करने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे वीआईपी यातायात बढ़ सकता है। इसलिए, कर्मचारियों को हाई अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री ओली को नेपाल से ले जाने के लिए एक निजी एयरलाइन, हिमालय एयरलाइंस, को स्टैंडबाय पर रखा गया है। बढ़ते राजनीतिक उथल-पुथल और कई मंत्रियों के इस्तीफों के बीच, ओली ने नेपाल से जाने से पहले उप-प्रधानमंत्री को कार्यकारी जिम्मेदारियाँ सौंप दी हैं।
नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार को हुए खूनी प्रदर्शनों के बाद मंगलवार को भी देश की राजधानी काठमांडू और आसपास के जिलों में हालात बेकाबू हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाया गया प्रतिबंध हटाना पड़ा, लेकिन तब तक हालात हाथ से निकल चुके थे। कम से कम 19 लोगों की अभी तक मौत होने की रिपोर्ट है और 300 से ज्यादा के घायल हैं। पुलिस की तरफ से फायरिंग ने युवाओं को गुस्से में भर दिया है और अब उन्हें केपी शर्मा ओली के इस्तीफे से कम कुछ मंजूर नहीं है। प्रतिबंधों और पुलिस फायरिंग के बावजूद छात्र-युवाओं का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब यह भ्रष्टाचार, बदइंतजामी और लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के खिलाफ एक व्यापक नागरिक असंतोष में बदल गया है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष के आवास को भी प्रदर्शनकारियों ने फूंक दिया है।
आपको बता दें कि नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार नेपाल कांग्रेस के समर्थन से चल रही है। नेपाल में लोकतंत्र लागू होने के बाद से अभी तक किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। नेपाल में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हो पाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी सत्तारूढ़ पार्टी के नेता और नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के आवास पर पहुंच गए और वहां कब्जा कर लिया। स्थिति हिंसक होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनकी संपत्ति में आग लगा दी। इसके अलावा कम से कम आधा दर्जन वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पीएम आवास पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है। लोग पीएम आवास पर रखे सामान भी अपने साथ ले गए हैं। पीएम आवास की किचन पर लोग खाना खाते हुए भी दिखाई दिए। कुछ ऐसा ही नजारा राष्ट्रपति आवास में भी देखने को मिला। यहां भी प्रदर्शनकारियों को जो मिला, उसे वह अपने साथ लेकर चले गए।
युवाओं के प्रदर्शन में एनजीओ हामी नेपाल ने अहम भूमिका निभाई है। डिस्कॉर्ड चौनलों के ज़रिए एनजीओ ने ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन का कॉल दिया। वीपीएन के जरिए प्रदर्शनकारी एनजीओ से जुड़े। इससे पहले हामी नेपाल का राजनीतिक प्रदर्शन आयोजित करने का कोई इतिहास नहीं रहा है। इस संगठन की स्थापना 2015 में की गई थी और आमतौर पर बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं के बाद राहत प्रदान करने के लिए काम करता है। वहीं नेपाल के युवाओं को कलाकारों की ओर से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। अभिनेत्री केकी अधिकारी नेकाव्यात्मक पोस्ट कर समर्थन किया है। अभिनेत्री वर्षा राउत, वर्षा शिवकोटी, अनमोल केसी, प्रदीप खड़का, भोलाराज सपकोटा, गायिका एलिना चौहान, रचना रिमल और समीक्षा अधिकारी समेत कई कलाकारों ने एकजुटता व्यक्त की है।