Azam Khan ear of encounter: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान का दर्द एक बार फिर छलका है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल के साथ एक विस्तृत बातचीत में, खान ने अपनी जेल यात्रा और राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव को साझा किया। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे इस वीडियो में, आजम खान ने विशेष रूप से उस समय के अनुभव को याद किया जब उन्हें रामपुर जेल से सीतापुर जेल स्थानांतरित किया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि इस स्थानांतरण के दौरान उन्हें एनकाउंटर का डर था। खान के अनुसार, उन्हें एक अलग गाड़ी में और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दूसरी गाड़ी में बिठाया गया, जिसने उनकी आशंका को और बढ़ा दिया। उन्होंने भावुक होकर कहा, “मैंने जेल में सुन रखा था कि एनकाउंटर हो रहे हैं, ऐसे में जो पिता होगा वह अपनी औलाद को लेकर पीड़ा समझ जाएगा।” जुदा होते समय उन्होंने अपने बेटे से कहा था, “जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।” यह क्षण किसी भी पिता के लिए असहनीय होगा, और खान की यह पीड़ा मौजूदा राजनीति के कटु पक्ष को उजागर करती है।
🚨 TURNING POINT OF UP
Azam Khan, here's why he was jailed in forged cases n fake allegations of Goat theft, Book Theft, and what not.
Why is Yogi Govt so scared of him ? pic.twitter.com/cxqdjOsE5W
— ✎𝒜 πundhati🌵🍉🇵🇸 (@Polytikles) October 26, 2025
छात्र राजनीति से जेल तक का सफर
Azam Khan ने कपिल सिब्बल के सामने छात्र जीवन की राजनीति से लेकर वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान इमरजेंसी में उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया था। उन्हें उस अंधेरी कोठरी में रखा गया था, जहां कुख्यात डाकू सुंदर बंद था, जिसे बाद में फांसी दी गई। जमानत मिलने पर उन पर मीसा (MISA) का मुकदमा दर्ज कराया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जमकर तारीफ की और कहा कि जेल से बाहर आकर उन्होंने बीड़ी श्रमिकों और बुनकरों की आवाज उठाई।
‘बदला लेने की राजनीति हावी’
वर्ष 2017 में अचानक अपने खिलाफ दर्ज किए गए 94 मुकदमों को खान ने पूरी तरह बेबुनियाद बताया। कपिल सिब्बल के सवाल पर, उन्होंने मौजूदा राजनीति के तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने याद किया कि पहले की सरकारों में सदन के अंदर आलोचना के बाद भी पक्ष-विपक्ष के नेता बाहर आत्मीयता से मिलते थे, लेकिन अब ‘बदला लेने की राजनीति’ हावी हो गई है।
Azam Khan ने भावुकता के साथ अपनी जेल यात्रा का वर्णन करते हुए बताया कि दूसरी बार रात के तीन बजे उन्हें और उनके बेटे को सोते से उठाया गया और अलग-अलग वाहनों में जेल बदला गया। इस दौरान उन्हें लगा नहीं था कि वे मिल पाएंगे।
‘यूनिवर्सिटी बनाई, यही मेरा गुनाह’
Azam Khan ने भविष्य की राजनीति पर अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वह चाहेंगे कि अगली बार जब तक सरकार आए, तब तक उनके ऊपर से मुकदमों का दाग हट जाए ताकि वह ‘मुजरिम के रूप में हाउस में न जाएं’। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “मैंने यूनिवर्सिटी बनाई यही मेरा गुनाह है। मुझे जेल में नहीं फांसीघर में रखा गया।” यह वीडियो भारतीय राजनीति में प्रतिशोध और व्यक्तिगत पीड़ा के बढ़ते दखल की कहानी बयां करता है।










