Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नगर निगम में सफाईकर्मियों को लेकर आई एक खुफिया रिपोर्ट ने शासन-प्रशासन की नींद उड़ा दी है। इस चौंकाने वाली रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि नगर निगम में कार्यरत करीब 80 प्रतिशत सफाईकर्मी अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या हो सकते हैं। इस बड़े इनपुट के बाद राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है और इन संदिग्ध कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन और गहन जांच शुरू करा दी गई है।
लखनऊ नगर निगम के अंतर्गत काम करने वाले लगभग 15,000 सफाईकर्मियों में से एक बड़ा हिस्सा, यानी करीब 12,000 लोग संदिग्ध माने जा रहे हैं। खुफिया विभाग का मानना है कि आउटसोर्सिंग कंपनियां और ठेकेदार अपने निजी स्वार्थ के लिए इन विदेशी नागरिकों को कम वेतन (₹9,000 प्रति माह) पर बड़े पैमाने पर नौकरी पर रख रहे हैं, जिसमें से ठेकेदार मोटी कमीशन (₹2,000 से ₹3,000) ले रहे हैं। पूछताछ में ये लोग खुद को असोम या बंगाल का बताते हैं, लेकिन असल में ये बांग्लादेशी या रोहिंग्या हैं। स्थानीय लोग इतने कम वेतन पर काम नहीं करते, जिसका फायदा उठाकर ठेकेदार इन्हें झोपड़पट्टियों में रखकर काम करा रहे हैं। नगर आयुक्त गौरव कुमार ने तुरंत सभी आउटसोर्सिंग एजेंसियों के कर्मियों की जांच के आदेश दिए हैं।
नेताओं के संरक्षण में बने अवैध दस्तावेज़
सबसे चिंताजनक बात यह सामने आई है कि यह सब एक राजनीतिक संरक्षण के तहत चल रहा है। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि स्थानीय पार्षदों और कुछ नेताओं ने इन्हें वोट बैंक में बदलने के लिए अवैध तरीके से आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड तक बनवा दिए हैं। पांच साल पहले नगर निगम चुनाव से पहले कैंप लगाकर पार्षदों के पत्रों पर इनकी पहचान ‘असोम निवासी’ के तौर पर पुख्ता कराई गई थी।
कई शहरों में फैला नेटवर्क और अवैध कब्ज़ा
केवल Lucknow ही नहीं, बल्कि कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ, बरेली और नोएडा जैसे 10 बड़े नगर निगमों में भी डेढ़ लाख से अधिक संदिग्ध सफाई कर्मचारियों की पैठ होने की आशंका है। लखनऊ में गोमती नगर विस्तार, इंदिरा नगर के बाहरी क्षेत्रों, जानकीपुरम और बीकेटी तक करीब 2,000 एकड़ सरकारी ज़मीन पर इनका अवैध कब्ज़ा है, जहाँ ये झोपड़ियाँ बनाकर रह रहे हैं और इनके पास बिजली-पानी के कनेक्शन भी हैं।
Lucknow मेयर सुषमा खर्कवाल ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले साल भी इन्हें निकालने का अभियान शुरू किया था, लेकिन पुलिस का विशेष सहयोग नहीं मिला था। उन्होंने कहा, “निश्चित ही यह भविष्य के लिए बड़ा संकट बन रहे हैं। अगर पूरा सहयोग मिला तो एक-एक व्यक्ति को चिह्नित कर बाहर किया जाएगा।” नगर निगम की वर्तमान जांच से आने वाले दिनों में तस्वीर साफ होने की उम्मीद है, जिसके बाद इन अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।









