सहारनपुर में खुफिया एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की तैयारी तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार, शहर के 20 से अधिक डॉक्टर और मेडिकल छात्र एजेंसियों के रडार पर हैं।निजी यूनिवर्सिटी और मदरसे में पढ़ने वाले छात्र भी इसमें शामिल हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के छात्र अहमद रजा को पूछताछ के बाद छोड़ दिया है। यह जांच उस समय तेज हुई जब UP ATS ने सहारनपुर के डॉक्टर अदील अहमद को गिरफ्तार किया था, जिन पर एक व्यापक नेटवर्क से जुड़े होने का संदेह है। गिरफ्तारी के बाद ATS डॉक्टर अदील के संपर्कों और गतिविधियों की गहराई से जांच कर रही है। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि उनके नेटवर्क के तार दिल्ली-NCR और हरियाणा तक फैले हो सकते हैं। बता दें, कि डॉ. आदिल के पकड़े जाने के बाद से ही सहारनपुर काफी चर्चाओं में है।
मंगलवार को देवबंद से फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में MBBS तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्र को उठाया था। उसके डॉ. उमर, डॉ. आदिल और डॉ. मुजम्मिल के संपर्क में होने की आशंका थी। इसे लेकर टीम ने घंटों पूछताछ की। उसके मोबाइल से कुछ रिकॉर्ड कब्जे में लिए हैं। उसके बाद रात में ही छात्र को छोड़ दिया गया। करीब 20 डॉक्टर और कई मेडिकल के छात्रों की एक सूची तैयार की गई है, जो जांच के दायरे में आए हैं। हालांकि उनका आतंकी गतिविधियों से कोई कनेक्शन है या नहीं, इस बारे में पुष्टि नहीं है, लेकिन यह खुफिया एजेंसियों के निशाने पर है। जिनसे जल्द ही पूछताछ हो सकती है।
एजेंसियों को आशंका है कि सहारनपुर के कई मेडिकल प्रोफेशनल और छात्र इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं या उनसे संपर्क में रहे हों। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह मॉड्यूल कथित तौर पर बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री (करीब 2,900 किलो) जमा करने की कोशिश में था, जिससे एजेंसियों की चिंता और बढ़ गई है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ATS और STF की टीमें सक्रिय हो गई हैं और संदिग्ध लोगों की गतिविधियों, वित्तीय लेनदेन, डिजिटल कम्युनिकेशन और नेटवर्क की हर कड़ी की जांच कर रही हैं। कई संदिग्धों से पूछताछ भी जारी है।
ATS ने अब तक सौ से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, जिनके संपर्क इस नेटवर्क या उससे जुड़े व्यक्तियों से पाए गए थे। इस पूरे मामले ने चिकित्सा समुदाय और सुरक्षा एजेंसियों दोनों में चिंता बढ़ा दी है। एजेंसियां इस बात की तस्दीक करने में जुटी हैं कि संदिग्ध डॉक्टरों और छात्रों की भूमिका कितनी गंभीर थी और क्या वे संगठित तौर पर किसी मॉड्यूल को समर्थन दे रहे थे।










