नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली ब्लास्ट के बाद एनआईए का ऑपरेशन जारी है। इस आतंकी हमले में शामिल एक-एक आतंकी को एनआईए पकड़ रही है और सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल के खात्मों को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। इसी कड़ी मं एनआईए ने फरीदाबाद के धौज निवासी शोएब को गिरफ्तार किया है। शोएब इस केस का सातवां आरोपी है। एनआईए की जांच में पता चला है कि उसने आतंकवादी उमर उन नबी को विस्फोट से ठीक पहले पनाह दी थी और उसे लॉजिस्टिक सहायता भी मुहैया कराई थी।
दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट मामले में आतंकी डॉक्टर उमर उन नबी को शरण देने वाले एक और शख्स को एनआईए ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी का नाम शोएब है। शोएब ने 10 नवंबर को दिल्ली में कार बम ब्लास्ट से पहले आतंकी उमर को लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराया था। डॉ.उमर उन नबी फिदायनी बॉम्बर था, जो कार ब्लास्ट में खुद को उड़ा चुका है। एनआईए ने इस ब्लास्ट मामले में अब तक 7 लोगों को अरेस्ट कर लिया है। सुरक्षा एजेंसी ब्लास्ट मामले में लगातार जांच कर रही है स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कई राज्यों में लगातार छापेमारी कर रही है।
शोएब की गिरफ्तारी के साथ जांच में अहम प्रगति हुई है। सूत्रों से पता चला है कि शोएब ने आतंकी उमर क सामान इधर से उधर पहुंचाने में मदद की थी। उसने ही नूंह में उमर को अपनी साली अफसाना के घर में कमरा किराये पर दिलाया था और पूरी गारंटी ली थी। 10 नवंबर को दिल्ली में धमाके से पहले 10 दिन उमर नूंह के इसी घर में रहा था। धमाके वाले दिन वह नूंह से ही दिल्ली के लिए गया था। अब एनआईए उसे यूनिवर्सिटी लेकर आएगी और नूंह भी लेकर जाएगी। दिल्ली ब्लास्ट में शोएब समेत सात आरोपी एनआईए के शिकंज में आ चुके हैं। फिलहाल इस आतंकी हमले में 15 लोगों की मौत हुई थी।
फरीदाबाद स्थित अलफला विश्वविद्यालय में प्रयोगशाला सहायक के रूप में कार्यरत शोएब ने कथित तौर पर उमर को विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला से रसायन प्राप्त करने में मदद की थी। फरीदाबाद के धौज इलाके के निवासी शोएब ने विस्फोटों से कुछ समय पहले, हरियाणा के नूंह स्थित हिदायत कॉलोनी में अपनी साली के घर पर उमर के लिए एक घर किराए पर लिया था। अधिकारियों का आरोप है कि उमर ने भागने के दौरान इसी घर को छिपने के लिए इस्तेमाल किया, वहां विस्फोटक रखे और फिर एक आई 20 कार से फिरोजपुर झिरका पहुचा। वहां से, उसने कथित तौर पर एक एटीएम से पैसे निकाले, मुंबई एक्सप्रेसवे लिया, बदरपुर होते हुए दिल्ली में प्रवेश किया और अंततः लाल किला पहुंच गया।
पहला किरदार डॉक्टर आदिल
कश्मीरी डॉक्टर आदिल अहमद राथर को जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में डॉक्टर आदिल की निशानदेही पर डॉक्टर मुजम्मिल और शाहीन की गिरफ़्तारी हुई थी। बाद में फरीदाबाद से बड़ी संख्या में हथियार और 2900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था। मोड्यूल में डॉक्टर आदिल का काम था हथियारों का इंतज़ाम करना थ।
दूसरा किरदार डॉ मुजम्मिल शकील
शकील ने ही फरीदाबाद में एक किराये का कमरा लिया था और वहां 360 किलो से ज्यादा बारूद (अमोनियम नाइट्रेट) के साथ टाइमर, रायफल जैसा सामान जुटाकर रखा था। मुजम्मिल की पूरी टेरर कुंडली भी सामने आई है। डॉ. मुजम्मिल अलफलाह यूनिवर्सिटी में सीनियर डॉक्टर है और यूनिवर्सिटी के कैंपस में ही यह रहता था।
तीसरा किरदार डॉ शाहीन सईद
लखनऊ की रहने वाली डॉक्टर शाहीन अल फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थी। लेकिन काम था मोड्यूल के लिए फंड इक्कठा करना और ग़रीब महिलाओं-लड़कियों को जैश के संगठन जमात-उल-मुमीनात से जोड़ना। जांच में सामने आया कि शाहीन ने मॉड्यूल को क़रीब 20 लाख रुपये की फंडिंग की थी और लगातार फंड जमा करने में जुटी हुई थी।
चौथा किरदार आमिर राशिद अली
10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट मामले में छप्। ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है, जिसने कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर उमर के साथ मिलकर यह हमला प्लान किया था। गिरफ्तार आरोपी का नाम आमिर राशिद अली है। वह जम्मू-कश्मीर के संबूरा, पंपोर का रहने वाला है। सबसे खास बात यह है कि जिस कार में आईडी लगाकर धमाका किया गया था, वह कार आमिर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। आमिर राशिद के परिवार ने बताया कि वह प्लंबर का काम करता है।
पांचवा किरदार जसीर बिलाल वानी
जसीर बिलाल वानी ने कई बड़े खुलासे किए हैं। ये मॉड्यूल हमास की तर्ज पर ड्रोन और छोटे रॉकेट बनाकर भारत में बड़े हमले की प्लानिंग कर रहा था। ड्रोन को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की भी कोशिश थी जांच में सामने आया है कि आतंकी लगातार ऐसे ड्रोन तैयार करने की कोशिश में लगे थे, जिन्हें मॉडिफाई करके हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सके। ड्रोन में कैमरा और बैटरी के साथ छोटे बम लगाने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले ही मॉड्यूल पकड़ा गया।
छठा किरदार मुफ्ती इरफान अहमद
ब्लास्ट वाली कार में बैठा डॉ. उमर, फरीदाबाद से पकड़ा गया डॉ. मुजम्मिल, सहारनपुर से गिरफ्तार हुआ। डॉ. आदिल, सबको जोड़ने वाली एक कड़ी है। मुफ्ती इरफान अहमद. यह वही शख्स है जो इन डॉक्टरों को आतंकवाद के रास्ते पर लेकर आया था। उसने यह तक बताया है कि वह कैसे किसी आम इंसान का ब्रेन वॉश कर के उन्हें आतंकी गतिविधियों से जोड़ लेता था। जांच में सामने आया है कि मौलवी इरफान ही सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल का हेड था। उसने भी पाक में बैठे आतंकियों की मदद से देश को दहलाने की साजिश रची।








