Agra News : आगरा का मशहूर ताजमहल एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह बनीं अघोरी साध्वी चंचल नाथ, जिन्हें सुरक्षा कारणों से ताजमहल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। साध्वी जब ताजमहल देखने पहुंचीं तो उनके हाथ में डमरू, त्रिशूल और खाने का बर्तन था, जिन्हें वह अपने साथ अंदर ले जाना चाहती थीं। लेकिन सीआईएसएफ के जवानों ने सुरक्षा नियमों का हवाला देते हुए उन्हें प्रवेश से रोक दिया।
सूत्रों के मुताबिक, साध्वी चंचल नाथ दोपहर करीब 2:30 बजे ताजमहल के पूर्वी गेट पर पहुंचीं। जब सुरक्षा जांच के दौरान उनके हाथ में डमरू और त्रिशूल देखा गया, तो जवानों ने उन्हें ये वस्तुएं लॉकर में रखने की सलाह दी। साध्वी ने ऐसा करने से मना कर दिया और फिर बिना ताजमहल देखे ही वहां से वापस लौट गईं। बताया जाता है कि उनके हाथ में जो बर्तन था, उसी में वे रोजाना भोजन करती हैं। घटना के कुछ फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिनमें साध्वी को गेट पर जांच कराते हुए और अपने धार्मिक सामान के साथ खड़ी देखा जा सकता है।
कैसा है साध्वी चंचल नाथ व्यक्तित्व ?
साध्वी चंचल नाथ अपने अनोखे जीवन-शैली और रहस्यमय आचरण के लिए जानी जाती हैं। उनकी लंबी जटाएं, अघोरी साधना, और उल्टा चलने की साधना उन्हें अन्य साध्वियों से अलग पहचान देती है। कहा जाता है कि बचपन में ही उनके माता-पिता ने अपने कुलगुरू के कहने पर उन्हें सात साल की उम्र में गुरू के सानिध्य में भेज दिया था।
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बंगाल में उन्होंने वर्षों तक कठोर साधना की और चमत्कारी शक्तियां अर्जित कीं। माना जाता है कि वे बिना किसी साधन के हवन कुंड में आग प्रज्वलित कर सकती हैं, जिसके कारण भक्त उन्हें श्रद्धापूर्वक ‘चंचल माता’ के नाम से पुकारते हैं।
सुरक्षा नियमों का पालन या विवाद?
सीआईएसएफ के अधिकारियों का कहना है कि ताजमहल में सुरक्षा प्रोटोकॉल बहुत सख्त हैं। किसी भी धार्मिक या नुकीली वस्तु को अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है। साध्वी को इन्हीं नियमों के तहत रोका गया। हालांकि, इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है — कुछ लोग सुरक्षा नियमों के पालन को सही ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि साध्वी के साथ भेदभाव जैसा व्यवहार किया गया।
