Badaun News: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के खेड़ादास गांव में गुरुवार, 16 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आदित्य यादव के काफिले को उस समय कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जब गुस्साए ग्रामीणों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव तथा सांसद आदित्य यादव के खिलाफ ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। यह विरोध प्रदर्शन तब हुआ, जब आदित्य यादव के नेतृत्व में सपा का एक 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गांव में 2 अक्टूबर को हुए दो पक्षों के बीच हिंसक विवाद के बाद स्थिति का जायजा लेने पहुंचा था, जिसमें 9 लोग घायल हुए थे और कथित तौर पर एक व्यक्ति की जान चली गई थी।
विवाद क्षत्रिय समाज और मैथिल-जाटव समाज के लोगों के बीच हुआ था। विरोध कर रहे क्षत्रिय समाज के लोगों ने सपा पर एकतरफा समर्थन करने और उनके पक्ष को अनदेखा करने का गंभीर आरोप लगाया है। यह घटना सपा के लिए स्थानीय स्तर पर बढ़ते असंतोष और तनावपूर्ण स्थिति का संकेत देती है।
आक्रोशित ग्रामीणों ने जताया विरोध
सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल के निर्देश पर, सांसद आदित्य यादव, जिलाध्यक्ष आशीष यादव, विधायक ब्रजेश यादव और हिमांशु सहित 9 नेताओं का प्रतिनिधिमंडल गांव खेड़ादास पहुंचा था। प्रतिनिधिमंडल के आगमन की पूर्व सूचना होने पर, क्षत्रिय समाज के लोग, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, गांव के बाहर ही एकत्र हो गए और विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनाई।
जैसे ही सपा नेताओं का काफिला गांव में प्रवेश किया, विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। लोगों ने जमकर नारेबाजी की, जिसमें “सपा मुखिया अखिलेश यादव मुर्दाबाद” और “सांसद आदित्य यादव मुर्दाबाद” के नारे प्रमुख थे। प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे भी दिखाए। महिलाओं ने पोस्टर और बैनर लिए हुए थे, जिन पर “समाजवादी गिद्धों वापस जाओ” और “अखिलेश यादव का हाथ हमेशा गुंडों के साथ” जैसे आरोप लिखे थे। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप था कि सपा विवाद के एक पक्ष (मैथिल और जाटव समाज) का खुलकर समर्थन कर रही है, जबकि दूसरे पक्ष (क्षत्रिय समाज) की शिकायतें सुनी तक नहीं गईं, जिसके चलते एफआईआर और कानूनी कार्रवाई में एकपक्षीयता हुई।
आदित्य यादव ने आरोपों को नकारा
हालांकि, गांव पहुंचे आदित्य यादव ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल एकपक्षीय बात करने नहीं आया है और उनका उद्देश्य दोनों पक्षों की बात सुनना है। उन्होंने विवाद बढ़ने के लिए पुलिस प्रशासन की अनदेखी को जिम्मेदार ठहराया।
यादव ने कहा, “ऐसा नहीं है कि हम एक पक्षीय बात करने आए हैं। दोनों पक्षों में विवाद हुआ है। यह Badaun पुलिस प्रशासन की अनदेखी का नतीजा है… अगर दोनों पक्षों का विवाद शांत कराने का प्रयास किया जाता तो झगड़ा इतना नहीं बढ़ता। हमारे प्रतिनिधिमंडल के आने का उद्देश्य यह है कि सभी का पक्ष सुना जाए, इसमें राजनीतिक रोटियां नहीं सेकी जानी चाहिए।”
यह विरोध प्रदर्शन दर्शाता है कि स्थानीय Badaun विवादों में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप किस तरह जनता के आक्रोश को भड़का सकते हैं, जिससे सत्ताधारी या प्रमुख विपक्षी दलों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।