Amit Shah : केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक नई और क्रांतिकारी टैक्सी सेवा ‘सहकार टैक्सी’ लॉन्च की है, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन टैक्सी बाजार में प्रमुख कंपनियों जैसे ओला, उबर और रैपिडो के प्रभाव को कम करना है। यह सेवा बाइक, कैब और ऑटो रिक्शा जैसी परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, जिससे ड्राइवरों को बिना किसी बड़े उद्योगपति के मुनाफे का हिस्सा बने, सीधे लाभ मिलेगा।
‘सहकार टैक्सी’ का क्या है उद्देश्य ?
‘सहकार टैक्सी’ का मुख्य उद्देश्य एक वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सर्विस प्रदान करना है, जो ड्राइवरों को सीधे लाभ दिलाएगी। केंद्र सरकार की इस पहल के तहत, ड्राइवरों को कोई बड़ा कमीशन नहीं देना होगा और वे अपनी पूरी कमाई सीधे अपने पास रख सकेंगे। यह सेवा ओला और उबर जैसी कंपनियों की सेवाओं को चुनौती देने का काम करेगी, जो अब तक बड़ी रकम कमाती थीं, लेकिन ड्राइवरों को बहुत कम हिस्सेदारी मिलती थी।
अमित शाह का सामने आया बयान
केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने संसद में इस नई पहल की घोषणा करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘सहकार से समृद्धि’ सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि इसे साकार करने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने पिछले साढ़े तीन वर्षों में अथक प्रयास किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि सहकार टैक्सी सेवा आने वाले महीनों में पूरी तरह से शुरू हो जाएगी।
ड्राइवरों को मिलेगा पूरा लाभ
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि इस सेवा से होने वाला लाभ किसी बड़े उद्योगपति के पास नहीं जाएगा, बल्कि यह सभी लाभ सीधे वाहन चालकों को मिलेगा। इस सेवा का उद्देश्य ड्राइवरों को सशक्त बनाना और यात्रियों को किफायती और विश्वसनीय परिवहन विकल्प प्रदान करना है। इसके साथ ही, सरकार एक सहकारी बीमा कंपनी भी स्थापित करेगी, जो देशभर में लोगों को बीमा सेवाएं प्रदान करेगी। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि यह बीमा कंपनी जल्दी ही निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी बन जाएगी।
‘यात्री साथी’ और ‘केरल सवारी’ का उदाहरण
पश्चिम बंगाल में पहले से ही एक सहकारी टैक्सी सेवा ‘यात्री साथी’ चल रही है, जो कोलकाता के अलावा सिलीगुड़ी, आसनसोल और दुर्गापुर जैसे शहरों में भी उपलब्ध हो चुकी है। यह सेवा यात्रियों को क्विक बुकिंग, स्थानीय भाषा में जानकारी, किफायती किराया और चौबीसों घंटे कस्टमर सपोर्ट जैसी सुविधाएं प्रदान करती है।
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केरल में भी 2022 में ‘केरल सवारी’ नामक एक सरकारी ऑनलाइन टैक्सी सेवा शुरू की गई थी, हालांकि इसे कम उपयोग के कारण बंद कर दिया गया था। अब राज्य सरकार इसे फिर से शुरू करने की योजना बना रही है, जिसमें संशोधित किराए और बेहतर सॉफ़्टवेयर के साथ सेवा प्रदान की जाएगी।
ओला-उबर के लिए चुनौती
सहकारी टैक्सी सेवा के आने के बाद ओला और उबर जैसी निजी राइड-हेलिंग कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। माना जा रहा है कि यह सहकारी व्यवस्था कम दरों पर लोगों को सस्ती राइड सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, वहीं प्राइवेट कंपनियां छोटे राइड्स के लिए भी अधिक शुल्क वसूलती हैं और ड्राइवरों को बहुत कम कमीशन देती हैं, जिस पर लगातार ड्राइवरों की शिकायतें रही हैं। हालांकि, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस सहकारी टैक्सी प्लेटफॉर्म का कार्य संचालन किस तरीके से होगा।