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वायु सेना को मिले Special Forces के 'गरुड़' कमांडो, जानें कैसे तैयार होती हैं..

वायु सेना को मिले Special Forces के ‘गरुड़’ कमांडो, जानें कैसे तैयार होती हैं कमांडोज की विशेष फोर्स

गरुड़ कमांडोज देश की शान है। ये पूरी जिम्मेदारी के साथ आतंकियों के खिलाफ चलाए गए तमाम ऑपरेशन को सफल बनाते है। वायु सेना ने अब और स्पेशल फोर्सेज के और गरुड़ कमांडोज के प्रशिक्षण अंतिम रूप दिया। इस दौरान ‘गरुड़’ कमांडो के प्रशिक्षण के सफल समापन के अवसर पर गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र में मरून बेरेट औपचारिक परेड हुई। इस अवसर पर वायु सेना मुख्यालय के सहायक प्रमुख एयर वाइस मार्शल राकेश सिन्हा ने मुख्य अतिथि के तौर पर परेड की समीक्षा की। साथ ही गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र से सफलतापूर्वक पास होने वाले गरुड़ कमांडो को बधाई दी। वहीं गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र के कमांडेंट विंग कमांडर त्रिलोक शर्मा ने मुख्य अतिथि मार्शल राकेश सिन्हा अगवानी की।

मुख्य अतिथि रहे मार्शल राकेश सिन्हा

आपको बता दें कि मुख्य अतिथि एयर वाइस मार्शल राकेश सिन्हा ने युवा कमांडो को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बदलते हुए सुरक्षा परिदृश्य के साथ तालमेल रखने के लिए कहा। साथ ही विशेष बलों के कौशल के प्रशिक्षण और सम्मान के महत्व पर जोर दिया। राकेश सिन्हा के लिए उच्च स्तर की व्यावसायिकता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रशिक्षण देने वाले कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी। साथ ही उन्हें अपना उच्च स्तर बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

राकेश सिन्हा ने सफल गरुड़ कमांडो को मरून बेरेट, गरुड़ प्रवीणता बैज और विशेष बल टैब प्रदान किए। वहीं पास होने वाले मेधावी प्रशिक्षुओं को ट्राफियां प्रदान कीं। वहीं समारोह के एक हिस्से के रूप में गरुड़ कमांडो ने लड़ाकू फायरिंग कौशल, बंधकों को मुक्त कराने, फायरिंग ड्रिल, आक्रमण विस्फोटक, बाधा क्रॉसिंग ड्रिल, दीवार पर चढ़ने, फिसलने, रैपलिंग और सैन्य मार्शल आर्ट्स जैसे विभिन्न कौशलों का प्रदर्शन किया।

ट्रेनिंग के लिए होती है सीधी भर्ती

आपको बता दें कि मरून बेरेट औपचारिक परेड पास होने वाले युवा गरुड़ के लिए गर्व और उपलब्धि का विशिष्ट क्षण होता है। यह परेड इन कमांडोज के विशेष बल में परिवर्तन होने तथा देश की सेवा करने के लिए कुलीन बल में शामिल होने का प्रतीक है।

दरअसल गरुड़ कमांडोज करीब दो साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद तैयार होते है। जिसके बाद विशेष फोर्स की ट्रेनिंग के लिए उनकी सीधी भर्ती की जाती है। वहीं आपको बता दें कि एक बार गरुड़ फोर्स में शामिल होने के बाद कमांडो अपने शेष करियर के दौरान यूनिट के साथ ही रहते हैं। ताकि यूनिट के पास लंबे समय तक बेहतरीन जवान रहें। जानकारी के अनुसार गरुड़ कमांडो में भर्ती होना कोई आसान काम नहीं होता। इसके लिए सभी कमांडोज को कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से गुजरना होता है। कड़ी ट्रेनिंग का उद्देश्य भावी जवानों के हर परिस्थिति का मुकाबला करने के योग्य बनाना होता है।

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