चंडीगढ़: पुलिस खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ चीफ अमृतपाल सिंह की तलाश में जगह-जगह जुटी हुई थी।18 मार्च से फरार चल रहे भगोड़े को पंजाब के मोगा से गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही उसे कड़ी सुरक्षा के बीच डिब्रूगढ़ जेल शिफ्ट किया गया। इसके बाद अब अमृतपाल की मुश्किलें बढ़ने वाली है। जी हाँ! खालिस्तान समर्थक के खिलाफ NSA के तहत कार्रवाई होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि NSA क्यों लगाया जाता है। आखिर NSA लगने पर आरोपी घबराने क्यों लगते हैं। इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे आपको इस खबर में। इसके लिए आपको सबसे पहले जानना होगा कि NSA होता क्या है ?
क्या है NSA ?
NSA राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत अगर किसी आरोपी से किसी प्रकार का कोई खतरा सामने आता है तो उसे हिरासत में लिया जाता है। जब सरकार को लगता है कि किसी व्यक्ति से देश को खतरा है तो उसे बिना देरी किए गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में ले सकती है।
कब बनाया गया कानून
23 सितंबर 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इस कानून को बनाया गया था। एनएसए का संबंध सीधे तौर पर देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से है। नेशनल सिक्योरिटी एक्ट को रासुका भी कहते हैं। इसके तहत संदिग्ध व्यक्ति को तीन महीने तक बिना जमानत के हिरासत में ले लिया जाता है। हालांकि इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। यहां तक की हिरासत में रखने के लिए पुलिस को अदालत में कोई आरोप तय करने की आवश्यकता भी नहीं होती। हिरासत में रखने की आखिरी अवधि 12 महीने होती है। इसके अलावा हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय में एडवाइजरी के सामने अपील कर सकता है। साथ ही राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करना होता है कि इस व्यक्ति को हिरासत में रखा गया है।
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