राजस्थान। राज्य के भरतपुर के कुम्हेर कस्बे के एक निजी मैरिज होम में रविवार यानी 20 नंवबर को संत रविदास सेवा समिति ने सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया था। बता दें कि इस समिति की ओर से यह पांचवां सामूहिक आयोजन था। इस सम्मेलन में 11 जोड़ों का विवाह कराया गया। लेकिन इससे पहले सभी का धर्म जोड़ो का धर्म परिवर्तन कराकर बौद्ध धर्म ग्रहण कराया गया। फिर सभी विवाहित जोड़ों को 22 खसमें खिलाई गई। ये 22 कसमें हिंदू धर्म को छोड़ने और बौद्ध धर्म अपनाने को लेकर थी।
‘सामूहिक विवाह के जरिए सोशल मैसेज दिया है’
इस विवाह सम्मेलन में डीग कस्बे के अधिकारी ने भी शिरखत की। विवाह के बाद सभी अधिकारी वहां से चले गए तो आयोजकों ने 11 जोड़ों को 22 शपथ दिलाई। वहीं इसे लेकर समाज प्रतिनिधि शंकर लाल बौद्ध ने कहा कि सामूहिक विवाह के द्वारा सोशल मैसेज दिया गया है। क्योंकि लोग शादी के नाम पर अनाप-शनाप पैसे खर्च कर देते हैं। एक शादी में लोग जितना खर्च करते है उससे कम खर्च में यहां 11 शादियां हुई हैं। झूठी आन-बान और शान के लिए लोग महंगी शादियां करते हैं। महंगे बैंड बजवाते हैं। झूठी शान में बैंड बजवाकर गरीबों को और गरीब बना दिया जाता है। इस आडंबर को छोड़ने के लिए ही सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजिक किए जाते हैं।

’22 प्रतिज्ञाएं बौद्ध धर्म का कवच है’
वहीं शंकर लाल ने कहा कि ये समाज की 22 प्रतिज्ञाएं हैं जो बौद्ध धर्म का कवच हैं। ये प्रतिज्ञाएं इसलिए दिलाई जाती हैं ताकि लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए बौद्ध धर्म में मिलावट करें और बौद्ध धर्म शुद्ध रहे। इससे पहले अलवर में भी संत रविदास सेवा समिति ने इस तरह के आयोजन किए हैं। बता दें कि भरतपुर में यह छठा कार्यक्रम था जो लालचंद पैंगोरिया की अगुवाई में हुआ। बता दें कि पैंगोरिया संत रविदास सेवा समिति के अध्यक्ष और संरक्षक हैं। इस आयोजन में पूरे समाज का सहयोग है। यहां जातिवाद का बंधन नहीं है। पूरे समाज के विवाह आयोजन किए जाते हैं। हम संत रविदास, भगवान बुद्ध और बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलकर ही ये आयोजन कर रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन के लिए क्यों लेते है 11 हजार
शंकर लाल ने आगे बताया कि यहां 11 हजार रुपए में सामूहिक विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाता है। पैसे इसलिए लिए जाते हैं ताकि कार्यक्रम में शामिल युवा इसकी गंभीरता को समझें। वहीं रजिस्ट्रेशन के लिए ली गई राशि से कई गुना ज्यादा नए जोड़ों को घरेलू सामान गिफ्ट के तौर पर दिए जाते हैं। जिसमें फ्रिज, बर्तन ,कपड़े, कुर्सी, डबल बेड आदि सामान कन्या दान स्वरूप नए जोड़ो को दिया जाता है।

‘देश की अखंडता के लिए भी खतरा’
इस बीच विश्व हिंदू परिषद के भरतपुर जिला अध्यक्ष लाखन सिंह ने कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि कुम्हेर डीग के अधिकारी के जाने के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में खुले मंच खुलेआम विवादित शपथ दिलवाई गई। जो गलत है और देश की अखंडता के लिए भी खतरा है। हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। साथ ही विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष होने के नाते मैं प्रशासन से अपील करता हूं कि इस तरफ भी ध्यान दें। वरना हम इसपर मुहिम चलाकर कार्रवाई करेंगे।
आपत्तिजनक शपथ को लेकर कब-कब हुए विवाद
वहीं इससे पहले भी हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक शपथ को लेकर विवाद होते रहे हैं। दरअसल दिल्ली की केजरीवाल सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने भी 5 अक्टूबर 2022 को लोगों को ऐसी ही शपथ दिलाई थी। जिसके बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव की कांग्रेस मेयर हेमा देशमुख पर भी हिंदू देवी-देवताओं के अपमान को लेकर आरोप लगे हैं। बता दें कि देशमुख पर 7 नवंबर 2022 को आयोजित बौद्ध समुदाय के एक कार्यक्रम के दौरान हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक शपथ लेने के आरोप लगे थे। वहीं कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जारकिहोली ने भी हिंदू शब्द को अपमानजनक कहा था।