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70 लाख की मर्सिडीज में भी नहीं बची साइरस मिस्त्री की जान, एयरबैग, सीट बेल्ट या लापरवाही? इस बात को लेकर छिड़ी बहस

70 लाख की मर्सिडीज में भी नहीं बची साइरस मिस्त्री की जान, एयरबैग, सीट बेल्ट या लापरवाही? इस बात को लेकर छिड़ी बहस

Cyrus Mistry Car Accident: जब भी लोग अपने लिए कार खरीदते हैं, तो उस दौरान वह बजट के अलावा उसमें मौजूद सुविधाओं और सुरक्षा इंतजामों का खासा ध्यान रखते हैं। कहा जाता है कि गाड़ी जितनी महंगी होगी, उसमें सुरक्षा समेत बाकी की सुविधाएं भी उतनी ही ज्यादा होंगी। लेकिन बीते दिन साइरस मिस्त्री का निधन हो गया, वह 70 लाख की मर्सिडीज में सवार थे। इससे कुछ दिन पहले भी खबर आई थी कि यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक बीएमडब्ल्यू गाड़ी हादसे का शिकार हो गई। वो पलटी खाते हुए 20 फुट नीचे जा गिरी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दूसरा घायल हुआ। इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जिसके बाद से लोगों में महंगी गाड़ियों को लेकर भी डर पैदा हो गया है। क्योंकि इनसे भी इंसान सुरक्षित रहे, अब इस बात की गारंटी दे पाना मुश्किल है।

हम मिस्त्री की ही बात करें, तो वह किसी मामूली गाड़ी में सवार नहीं थे। बल्कि वह मर्सिडीज बेंज जीएलसी जैसी एसयूवी में थे। कार की कीमत करीब 70 लाख है। जिसमें तमाम सुविधाओं के साथ ही सुरक्षा का भी दावा किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या हादसे के वक्त रियर सीट्स के एयरबैग्स ने काम नहीं किया? हालांकि मामले में पुलिस ने तहकीकात के आधार पर कहा है कि मिस्त्री और उनके साथ बैठे शख्स ने सीट बेल्ट नहीं बांधी हुई थी। अधिकारी ने कहा कि साइरस मिस्त्री की रविवार को जान लेने वाले सड़क हादसे की प्रारंभिक जांच के अनुसार टाटा संस के पूर्व चेयरमैन मिस्त्री और उनके एक सह-यात्री ने सीट बेल्ट नहीं बांधी हुई थी, वाहन बहुत तेज गति में था और चालक के ‘निर्णय की त्रुटि’ के कारण दुर्घटना हुई। इस हादसे ने सीट बेल्ट को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है.

फ्रंट सीट से टकराए सिर

प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि पिछली सीट पर बैठे साइरस मिस्त्री और उनके दोस्त जहांगीर दिनशॉ पंडोले ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी. इसके अलावा, पिछली सीट के एयरबैग भी समय पर नहीं खुले. इस वजह से जब एक्सीडेंट हुआ, तो मिस्त्री और जहांगीर को सबसे ज्यादा चोटें आईं. उनके सिर फ्रंट सीट से इतनी तेजी से टकराए कि दोनों की मौत हो गई. यदि पिछली सीट पर बैठे पैसेंजर्स ने सीट बेल्ट लगाई होती, तो शायद उनकी जान बच सकती थी.

अधिकांश नहीं लगाते सीट बेल्ट


अब इसे मिस्त्री की लापरवाही कहें या कुछ और, लेकिन कार में पिछली सीट पर बैठने वाले अधिकांश यात्री सीट बेल्ट इस्तेमाल नहीं करते. न ही इसे लेकर ट्रैफिक पुलिस ज्यादा कोई सख्ती बरती जाती है. कुछ साल पहले हुए एक सर्वे में सामने आया था कि कार में आगे बैठने वाले केवल 25 फीसदी और पीछे बैठने वाले महज 4 फीसदी लोग ही सीट बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं. सर्वे रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि एसयूवी चलाने वाले 77%, हैचबैक चलाने वाले 72%, सेडान चलाने वाले 68% और लग्जरी कार चलाने वाले 59% लोगों को सीट बेल्ट पहनना पसंद नहीं.

पुलिस का ढीला रवैया

कार की पिछली सीट पर बैठने वालों के बेल्ट न पहनने की दो सबसे बड़ी वजह हैं. पहली जागरुकता की कमी और दूसरी पुलिस का ढीला रवैया. लोगों को लगता है कि कार में दी गईं पिछली बेल्ट केवल दिखावे के लिए हैं. यानी इन्हें लगाओ या न लगाओ कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि नियम के अनुसार अगर गाड़ी में पीछे सीट बेल्ट है, तो उसे पहनना अनिवार्य है और ऐसा न करने की सूरत में ट्रैफिक पुलिस चालान भी काट सकती है. आजकल नई गाड़ियों में पीछे सीट बेल्ट दी जाने लगी हैं.

अब मिलेगी एक और बेल्ट

आजकल की कारों में फ्रंट की तरह रियर सीट पर भी दो सीट बेल्ट होती हैं, जबकि पीछे तीन लोग बैठ सकते हैं. ऐसे में बीच में बैठने वाले यात्री की सुरक्षा का क्या? इस सवाल का जवाब सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसी साल फरवरी में दिया था. उन्होंने बताया था कि सरकार ने व्हीकल मैनुफैक्चरर्स को कार में बैठने वाले सभी यात्रियों के लिए थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट मुहैया कराना अनिवार्य कर दिया है. इसका मतलब है कि पिछली सीट के बीच में बैठे तीसरे व्यक्ति को भी सीट बेल्ट मिलेगी. उन्होंने कहा था कि लोगों की सुरक्षा को देखते हुए सीट बेल्ट की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया है.

गोपीनाथ मुंडे भी हुए थे शिकार

2014 में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की कार हादसे में मौत हो गई थी. दुर्घटना के समय मुंडे पीछे की सीट पर बैठे थे और उन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी. इस हादसे के बाद रिअर सीट बेल्ट को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी थी. बड़े शहरों में ट्रैफिक पुलिस ने लोगों को जागरुक करने के लिए बकायदा कैंपेन भी चलाया था, लेकिन कैंपेन के बंद होते ही लोगों जागरुकता भी हवा हो गई. आजकल स्थिति ये है कि पीछे बैठने वाले 10 यात्रियों में से शायद कोई एक ही सीट बेल्ट इस्तेमाल करता होगा.

इसलिए ज़रूरी है बेल्ट पहनना

कुछ साल पहले आई एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में बताया गया था कि यदि फ्रंट सीट पर बैठने वाले सीट बेल्ट लगाएं तो दुर्घटना के समय मौत का खतरा 40-50 प्रतिशत कम हो जाता है. वहीं, अगर कार की पिछली सीट पर बैठने वाले लोग सीट बेल्ट इस्तेमाल करें, तो यह खतरा 75% तक कम हो जाता है. बेल्ट नहीं लगाने पर दुर्घटना के समय झटका लगता है, जिससे रीढ़ की हड्डी और गर्दन के जोड़ में चोट आती है. झटका लगने के कारण लीवर भी फट सकता है. इतना ही नहीं हार्ट अटैक की आशंका भी बढ़ जाती है.

इसलिए बची अनाहिता की जान

जानकारी के अनुसार, साइरस और जहांगीर ने सीट बेल्‍ट्स नहीं पहनी थीं जिसके चलते एयर बैग्‍स खुल पाने से पहले ही उनके सिर फ्रंट सीट्स से टकरा गए. सिर पर लगी गंभीर चोटों की वजह से उनकी मौत हो गई. पुलिस ने कहा कि कार चला रहीं डॉक्टर अनाहिता और उनके पति दारियस पंडोले की जान इसलिए बच गई, क्‍योंकि उन्‍होंने सीट बेल्‍ट पहन रखी थी और उनके एयरबैग्‍स टाइम पर खुले.

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