उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वे कराने का बुधवार को फैसला किया है। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने गुरुवार को बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक, प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया है। अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस फैसले के आने के बाद तंज़ीम उलमा ए इस्लाम दरगाह आला हज़रत बरेली शरीफ के राष्ट्रीय महासचिव और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी नें यूपी सरकार द्वारा मदरसों के सर्वे विरोध किया है। शहाबुद्दीन रज़वी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने मदरसो का सर्वे कराने का आदेश जारी किया है। हमें उससे कोई ऐतराज नही हम चाहते है कि सर्वे होना चाहिए इस सर्वे का हम इस्तकबाल (स्वागत) करते है मगर बार बार आदेश आना मदरसों को शक के दायरे में लाता है। हम नही चाहते कि ऐसा हो, मदरसों की तरक्की के लिए अगर कोई काम होता है तो उसमें कोई हर्ज की बात नही। सरकारों को ठहराया दोषी मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने अपने बयान कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार के साथ पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार भी मदरसों की बदहाली के लिए उनकी खस्ताहाली के लिए जिम्मेदार है। सपा सरकार पर निशाना साधते हुए मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा पहले मदरसों की मान्यता जिला स्तर पर मिलती थी। उन मान्यताओं को समाजवादी सरकार ने बंद कर दिया और शासन स्तर पर भेज दिया और शासन स्तर पर कोई मान्यता नहीं हो रही हैं। वर्ष 2015 से अब तक मदरसों को मान्यताए नहीं दी जा रही है।
मदरसों को मान्यता दे सरकार मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने मौजूदा सरकार से यह मांग की है। कि मदरसों का मान्यताओं का सिस्टम जो अबतक साल 2014 से बंद है। उसे चालू किया नए मदरसों को मान्यता दी जाए और मान्यता दी जाने वाली प्रक्रिया को आसान बनाया जाए अगर ऐसा होता है। तो हम समझेंगे कि सरकार सच में सही काम करना चाहती हैं।