झारखंड का गैंग गोरखपुर समेत आसपास के जिलों में मोबाइल चोरी की घटनाओं को अंजाम दिलाता था। यह गैंग झारखंड के छोटे गरीब बच्चों को शिकार बनाकर 10 से 12 हजार रुपए महीने की सैलरी पर रखता था और फिर उनसे गोरखपुर और आसपास के शहरों में चोरी कराता था। बता दें ये गैंग के लोग किसी बड़े शहर में किराए का कमरा लेकर रहते थे और वहां से प्लानिंग कर आसपास के जिलों में वारदात को अंजाम दिलाते थे। इस गैंग के टारगेट पर पैसेंजर्स भी होते थे। यह लोग उनसे पहले जान-पहचान बढ़ाते थे फिर उन्हें खाने की चीज में नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश कर देते थेे। इसके बाद यह गैंग उनके मोबाइल फोन और अन्य सामान चोरी कर फरार हो जाता था।
एक बाल अपचारी समेत 7 गिरफ्तार
वहीं इस गैंग के 7 सदस्यों को कैंट पुलिस ने कलेक्ट्रेट परिसर यानी कि पुराना पुलिस दफ्तर से उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब यह किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए बैठकर एक जगह प्लानिंग कर रहे थे। इनमें एक बाल उपचारी भी शामिल था। इनके पास से पुलिस ने चोरी के 11 मोबाइल फोन, 305 ग्राम नशीला पाउडर और 7700 रुपए कैश भी बरामद किए हैं। SP सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया, पकड़े गए आरोपियों की पहचान मनोज मंडल उर्फ बाटू, सुनिल महतो, परन कुमार, करन कुमार, तेतर महतो, मोहम्मद सज्जाम और एक बाल अपचारी के रुप में हुई। यह सभी तालझारी साहेबगंज, झारखंड के रहने वाला हैं। SP सिटी ने बताया, कैंट पुलिस अपराधियों की धरपकड़ की प्लानिंग कर रही थी। इस बीच पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि झारखंड से आया चोरों का गैंग कलेक्ट्रेट परिसर में बैठकर बड़ी वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहा था। सूचना पर पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर घेराबंदी की। सभी सदस्य बैठकर आपस में बातचीत कर रहे थे। टीम ने घेरकर उन्हें दबोच लिया।
उन्होंने बताया कि यह गांग गोरखपुर समेत देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और वस्ती समेत अलग-अलग जिलों में चोरी की वारदातों को अंजाम देता है। इस गैंग के सदस्यों की खासियत यह है कि यह किसी भी शहर में अपना स्थाई ठिकाना नहीं बनाते। यह बाहर से आते हैं और एक दो दिन में ही कई बड़ी वारदातों को अंजाम देकर दूसरे शहर में निकल जाते। वारदात को अंजाम गैंग के बच्चे देते थे।