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सोनिया की चाल पर गहलोत का धोबी पछाड़ और कांग्रेस फिर ‘फुस्स’!

सोनिया की चाल पर गहलोत का धोबी पछाड़ और कांग्रेस फिर ‘फुस्स’!

कांग्रेस का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इस सवाल का जवाब शायद मिलने वाला है. पार्टी के अंदर नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा हो रही है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस पद का ऑफर दिया है.हालांकि गांधी परिवार के बेहद करीबी अशोक गहलोत का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई है उसे पूरा कर रहे हैं.

दरअसल कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में सरकार को बनाए रखना बड़ी चुनौती है. लेकिन वहां पार्टी के दो कद्दावर नेता सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रस्साकसी किसी से छिपी नहीं है.मामला हाईकोर्ट तक जा चुका है. लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार शायद गहलोत को कांग्रेस की कमान देकर एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश कर रहे हैं.

पहले जानिए सोनिया ने गहलोत से क्या-क्या कहा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोनिया गांधी ने मंगलवार को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से अपने आवास पर मुलाकात की। बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने गहलोत से पार्टी की बागडोर संभालने का आग्रह किया। सोनिया ने गहलोत से यह भी कहा कि वह खराब स्वास्थ्य के चलते पार्टी की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकतीं हैं।

इस पर अशोक गहलोत ने फिर दोहराया कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मत पसंद हैं। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गहलोत ने कहा कि वह बार-बार कह रहे हैं कि राहुल गांधी जी के अध्यक्ष बनने पर ही पार्टी का पुनर्गठन हो सकेगा। उनके अध्यक्ष बने बगैर नेता व कार्यकर्ता निराश हो जाएंगे। हम राहुल गांधी पर लगातार दबाव डालेंगे कि वे पार्टी अध्यक्ष का पद संभालें।

हालांकि, जब मीडिया ने गहलोत से कांग्रेस अध्यक्ष पद की पेशकश को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं मीडिया से यह खबर सुन रहा हूं। मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। जो ड्यूटी मुझे दी गई है, वह मैं कर रहा हूं।’

गहलोत ही क्यों?

हमने यही सवाल वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव से किया। अशोक कहते हैं, ‘पार्टी पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए गांधी परिवार अपने किसी करीबी को इस पद पर बैठाना चाहता है। अशोक गहलोत इस खांचे में बिल्कुल फिट बैठते हैं। वह गांधी परिवार के काफी करीबी हैं और सोनिया-राहुल की बात को कभी नहीं काटते हैं। ऐसे में अगर वह अध्यक्ष बनें तो सोनिया-राहुल को दो फायदे मिलेंगे। पहला यह कि विपक्ष को यह संदेश दिया जाएगा कि कांग्रेस में सिर्फ गांधी परिवार ही अध्यक्ष नहीं बन सकता है, बल्कि कोई भी इसका नेतृत्व कर सकता है। दूसरा यह कि अपने करीबी गहलोत के जरिए पार्टी की डोर भी अपने हाथों में रखे रहेंगे।’

वह आगे सर्वे का दावा करते हैं। कहते हैं, ‘कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने राजस्थान को लेकर एक सर्वे करवाया था। इस सर्वे में अशोक गहलोत की स्थिति ठीक नहीं बताई गई है। ऐसे में उनके रहते राजस्थान में फिर से चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि कांग्रेस नेतृत्व उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाकर राजस्थान चुनाव जीतने के लिए खाका तैयार कर रही है।’

लोकसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव होगा

अशोक गहलोत की ज्यादातर राजनीति राजस्थान में ही रही है। अभी राज्य में दो गुट हैं। पहला गहलोत का और दूसरा पायलट का। दोनों एक दूसरे को हमेशा नीचे करने में जुटे रहते हैं। अगर गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें राजस्थान छोड़ना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में सचिन पायलट का गुट राजस्थान में हावी होगा। पायलट को मुख्यमंत्री भी बनाया जा सकता है। गहलोत यही नहीं चाहते हैं क्योंकी लोकसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव होगा , अब ऐसे में गहलोत को डर सता रहा हैं की राजस्थान में विधानसभा चुनाव में कहीं सचिन पायलट अपना सिक्का ना जमा लें ।

राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने के लिए ये खेल खेला जा रहा है

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गहलोत का लंबा राजनीतिक अनुभव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। उन्होंने कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है। इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक वे गांधी परिवार के पूरी तरह भरोसेमंद रहे हैं। राजस्थान में सचिन पायलट की बगावत के समय भी उन्होंने अपनी सियासी कुशलता के कारण सरकार बचाने में कामयाबी हासिल की थी। नेतृत्व के मामले में भी उन्हें मजबूत माना जाता रहा है।

अभी पिछले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान से तीन बाहरी उम्मीदवार लड़ाए थे और गहलोत ने इन तीनों को जिताकर भाजपा की योजना पूरी तरह फेल कर दी थी। गहलोत के पक्ष में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि वे पार्टी के सभी खेमों को स्वीकार्य रहे हैं। अनुभव के लिहाज से काफी वरिष्ठ होने के साथ ही पार्टी के सभी नेताओं के साथ उनके सहज और अच्छे रिश्ते हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों की वजह से कांग्रेस नेतृत्व की ओर से गहलोत का नाम आगे किया गया है।

गहलोत को पता है केंद्र में कांग्रेस को आना नही है

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पार्टी में एकजुट राय राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने में है और देशभर में कांग्रेसियों की भावनाओं को समझते हुए राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष का पद स्वीकार कर लेना चाहिए. साथ ही गहलोत ने कहा कि अगर राहुल पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो इससे कांग्रेस से जुड़े लोग निराश होंगे. पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर अटकलों के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने संवाददाताओं से कहा कि राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बनना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी अगर अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो इससे कांग्रेस में निराशा आएगी. कई लोग घर बैठ जाएंगे और हम लोगों को तकलीफ होगी. उनको (राहुल) पार्टी से जुड़े लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह पद स्वीकार करना चाहिए.’

गहलोत ने कहा कि पार्टी के भीतर भी एक राय है कि राहुल गांधी को नया अध्यक्ष बनना चाहिए. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बीते 32 साल में इस परिवार का कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बना. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि 75 साल में कुछ नहीं हुआ देश में. अगर ऐसा है तो सब लोग कांग्रेस पर ही हमला क्यों करते हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी और देश का डीएनए एक है. कांग्रेस सभी धर्मों और वर्गों को साथ लेकर चलती है.’

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