गाजियाबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां पहले एक 11 साल की बच्ची का अपहरण किया जाता है फिर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। बता दें कि गाजियाबाद के थाना नंद ग्राम क्षेत्र की नई बस्ती इलाके में रहने वाली 11 साल की मासूम खुशी का बीते 20 नवंबर को अपहरण किया गया था। इसके बाद अपहरण कर्तओं ने खुशी के परिजनों से 30,00,000 रुपए की फिरौती की डिमांड भी की थी। जिसकी सूचना परिजनों ने पुलिस को दी थी और जल्द से जल्द खोजने की बात कही थी।
क्या है पूरा मामला
11 साल की लड़की खुशी अपनी नानी के घर नंदग्राम के नई बस्ती मोहल्ले में रहती थी। सोनू ने बताया कि रविवार दोपहर पौने दो बजे उनके पास एक अंजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने उनसे पूछा कि खुशी तुम्हारी बेटी है। हां कहन पर कॉलर ने बेटी के अपहरण करने की बात कहते हुए फिरौती मांगी। कॉल खत्म होने के बाद सोनू ने अपने साले सतीश को फोन किया। सतीश ने घर पर देखा तो खुशी वहां नही मिली। उस वक्त खुशी की नानी शांति और नाना बिजेंद्र खेत पर पशुओं के लिए चारा लेने गए थे। काफी तलाश के बाद खुशी नहीं मिली तो सतीश ने मामले की नंदग्राम थाने में सूचना दी थी। बता दें कि खुशी के पिता मोन सिंह की 2015 में मौत हो गई थी। परिवारिक सहमति से खुशी की मां ममता ने देवर सोनू से शादी कर ली थी। ममता के पहले एक बेटी और एक बेटा है। सोनू से शादी के बाद उनका एक और बेटा हुआ। तीनों बच्चों में खुशी सबसे बड़ी है। वह तीसरी कक्षा की छात्रा थी।
गाजियाबाद पुलिस अभी भी कुंभकरण की नींद सोई
बता दें कि कल मंगलवार को बच्ची का शव बुलंदशहर इलाके के जंगलों से बरामद किया गया। वहीं आज सुबह बच्चे के शव को पोस्तमार्टम करने के लिए भेजा गया था जिसके बाद शव को उसके नाना नानी के घर पर नंद ग्राम इलाके में लाया गया। जहां परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने सही कार्यवाही नहीं की है, जिसको लेकर परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार से मना कर दिया। परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस जबरन यहां से बच्चे के शव को लेकर चली गई और उसके शव को उसके माता- पिता को सैंप दिया। परिजनों का आरोप यह भी है कि पुलिस अगर सही समय रहते हुए कार्रवाई करी होती तो आज हमारी बेटी हमारे साथ होती है। बता दें कि गाजियाबाद पुलिस की नाकामयाबी देखिए की घटना के इतने दिन बीत जाने के बाद भी और कल बच्चे के शव मिल जाने के बाद भी गाजियाबाद के किसी पुलिस के आला अधिकारी का कोई बयान अभी तक सामने नहीं आया है.इस बात को दर्शाता है कि गाजियाबाद पुलिस अभी भी कुंभकरण की नींद सोई हुई है जिसका खामियाजा इस परिवार को भुगतना पड़ा और 11 साल की मासूम की हत्या कर दी गई।