महोबा के महुआ गांव का एक प्राइमरी स्कूल जिले में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। जहां 3 दिन से 226 बच्चे स्कूल नहीं जा रहे, जबकि इस स्कूल में सिर्फ 236 बच्चें हैं। इसकी वजह है कि गांव में अफवाह उड़ गई है कि इस स्कूल पर भूत का साया है। ये डर ऐसा घर कर गया कि मां-बाप अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। जो 5-10 बच्चे आते हैं उन्हें भी बड़ी मुश्किल से अध्यापक मां-बाप को समझा-बुझाकर ला रहे हैं। ताकि दूसरे बच्चों के मन से भूत का डर बाहर निकला जा सके।
15 छात्राओं की बिगड़ी तबीयत
ये अफवाह उस वक्त शुरू हुई जब 19 दिसंबर को कन्या प्राइमरी स्कूल में दोपहर के वक्त बच्चों को मिड डे-मील परोसा गया। तभी अचानक से स्कूल की 15 छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई। वह चक्कर खाकर गिर गई। कोई सिर पीटकर तेज-तेज रोने लगा तो किसी के पेट में दर्द होने लगा। इनमें वो छात्राएं भी शामिल थी जिन्होंने मिड-डे मील भी नहीं खाया था।एक निजि अकबार ने इस अंध विश्वास की जड़ें को जानने की कोशिश की। गांव के प्रधान, टीचर्स और ग्रामीणों व बच्चों से बातचीत की।
मिली जानकारी के अनुसार उस दिन स्कूल में जिन छात्राओं की तबीयत बिगड़ी उन्होंने अपने परिवार को एक किसी सफेद साड़ी पहनी हुई महिला के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि उस दिन सफेद साड़ी वाली महिला उनको पायल बजाकर बुला रही थी। वह उन्हें काला दुप्पटा दिखा रही थी। तभी अचानक से उन लोगों के साथ उल्टी सीधी चीजें होने लगीं।
स्कूल में शैतान और जिन्न का साया
इस घटना के बाद से ग्रामीणों में डर बैठ गया है। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है। जहां छात्राओं की तबीयत बिगड़ी वहां पर तंत्र-मंत्र कराया गया। गांव में देवता का दरबार लगाकर उन सभी छात्राओं को लाया जा रहा है। इसी बीच तरह-तरह की बातें सामने आईं। किसी ने इसे काले साए से जोड़ा तो किसी ने स्कूल में मंदिर के सामने खड़ी दीवार को गिराने की बात कही। किसी ने स्कूल में शैतान और जिन्न का साया होने की बात कही।
कन्या प्राइमरी स्कूल में जांच पड़ताल की गई तो वहां सिर्फ 8 बच्चे बैठे थे। आस-पास टीचर खड़े थे। वह सभी इसी मामले को लेकर बात कर रहे थे। जब उनसे बात की गई तो उन लोगों ने बताया कि यहां पर कई सारी चीजें अजीब होती हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल का मेन गेट इतना भारी होने के बाद भी कई बार अपने आप खुल जाता है। वहीं उन लोगों ने एक हैंड पाइप दिखाया जिसमें अपने आप पानी आता रहता है।
उस दिन की घटना कुछ अधिक भयानक थी
इस बीच स्कूल के एक टीचर ने बताया कि “उस दिन खाना परोसा जा रहा था तभी अचानक से छात्राएं भागने लगीं। स्कूल में पहले भी छात्राएं ऐसे बीमार पड़ी हैं लेकिन उस दिन की घटना कुछ अधिक भयानक थी। हम लोग कुछ समझ नहीं पाए। किसको संभालें और किसको नहीं। हम लोगों को मजबूरी में स्कूल आना पड़ रहा है। गांव का कोई भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहा। ये बच्चे भी हम लोगों के साथ ही आए हैं। अब हम भी स्कूल बंद करके वापस घर जा रहे हैं। इस घटना के बाद से लोग अंधेरा होने से पहले ही घरों में कैद हो जाते हैं।”
घर में अंधेरा नहीं होने देते
वहीं घटना में बिमार पड़ने वाली छात्रा अभी भी उस घटना से बाहर नहीं निकल पाई है। उस दिन उसके साथ क्या हुआ उसको कुछ याद नहीं है। बच्ची ने बताया कि उसकी एक दोस्त लंच लाई थी उसको जैसे ही खोला सब बीमार हो गए। उस वक्त सब इतना डर गए कि घर में अंधेरा नहीं होने देते। उन्हें ऐसा लगता है कि कोई आ न जाए। बच्ची ने कहा कि वह सफेद साड़ी वाली औरत हमें बहुत डराती है। हमने पहले कभी उसको नहीं देखा,लेकिन अब दिमाग से नहीं निकल रही। लेकिन जब महिला के बारे में उससे ज्यादा डिटेल पूछनी चाही तो वह सटीक जवाब नहीं दे सकी।
इस बीच गांव की महिला ने बताया कि “स्कूल में 2 महीने पहले भी ऐसी घटना हुई थी। बच्चे इतना डर गए हैं। उसने बताया कि उसकी बेटी दो मिनट के लिए उससे दूल नहीं जाती। गांव में भी डर का माहौल बना हुआ है। देवता दरबार भी लगाया गया लेकिन बच्चियां स्कूल जाने के लिए राजी नहीं हैं। स्कूल की तरफ से बोला गया कि सबका इलाज होगा लेकिन पता नहीं कब होगा।”
बच्चों पर जिन्न और शैतान का साया
बच्चियों की तबीयत बिगड़ने पर जो तांत्रिक इलाज के लिए पहुंचा था उसने बताया कि उस दिन मैंने अपनी पूरी शक्ति लगा दी और बच्चों को ठीक करने की कोशिश की। लेकिन बच्चों पर जिन्न और शैतान का साया था। दोनों बहुत ताकतवर हैं। मैं उन पर काबू नहीं पा सका। मैंने ग्रामीणों को मैकासुर बाबा के बारे में बताया है। लेकिन इन लोगों ने देवता दरबार लगवाकर बच्चियों का इलाज करवाया है। अब देखो।
बच्चे जैसा बोल रहे हैं वैसा कुछ नहीं
वहीं इस ममामले में ग्राम प्रधान के पति फूल सिंह का कहना है कि “विद्यालय में किसी भूत प्रेत का साया नहीं है। गांव के लोगों के कहने पर तंत्र-मत्र कराया गया है। इस बीच बीएसए अजय कुमार मिश्रा का कहना है कि “उस दिन बच्चियां क्यों बीमार पड़ी इसकी जांच की जा रही है। बच्चियों ने मिड-डे मील का खाना नहीं जो वह उससे बीमार पड़ती।” वहीं स्कूल में भूत प्रेत की चर्चा पर बीएसए ने कहा कि “इन सब पर ध्यान न देकर बच्चों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक की व्यवस्था की जाएगी। “
वहीं स्वास्थ्य केंद्र पनवाड़ी में तैनात डॉक्टर माहुर का कहना हैं कि “बच्चे जैसा बोल रहे हैं वैसा कुछ नहीं है। ठंड के कारण बच्चों को सर्दी जुकाम हो सकता है। हम ग बच्चों का इलाज करेंगे और उनका डर निकालने का प्रयास करेंगे।”
स्कूल में हैंडपंप से बिना चलाए भी पानी निकलने लगता है। इसके बारे में जल निगम के जेई कमलेश बाजपेई का कहना है कि हैंडपंप से कई बार बिना चलाए पानी आना आम बात है। उन्होंने बताया कि जब जमीन की स्टेट परत में पानी हो व उसके ऊपर वाली परत सुखी हो तो उसके तेज दबाव के चलते पाइप में अपने आप पानी आ जाता है
कुछ चीजें अपने घर से ही दिमाग में बैठ जाती हैं
बच्चियां स्कूल में सफेद साड़ी वाली महिला का जिक्र कर रहीं हैं। इस पर लखनऊ की सीनियर साइकोलॉजिस्ट और चाइल्ड काउंसलर एक्सपर्ट डॉ. नेहा आनंद ने बताया कि कई बार बच्चों में कुछ चीजें अपने घर से ही दिमाग में बैठ जाती हैं। फिर इस तरह की बात स्कूल में दोस्तों में भी चलती रहती है। स्कूल के गेट अपने आप खुलने पर एक्सपर्ट कहती हैं कि यह बहुत आम बात है। कोई जानबूझकर बच्चों के दिमाग में ये सब चीजें भर रहा है। अगर गेट भारी है और ढलान है या फिर हवा चलती है तो कई बार गेट अपने आप खुल जाता हैं। घरों में भी ऐसा होता है।