अरूणाचल प्रदेश के तवांग जिले में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर राजनीति गरमा गई है। विपक्ष सांसदों ने संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में सीमा विवाद पर चर्चा की मांग करते हुए कहा कि मौजूदा मौजूदा मुद्दे पर बयान देना चाहिए। चीन हमारे जमीन पर कब्जा करते हुए लद्दाख और उत्तराखंड से उरुणाचल प्रदेश तक पहुंचे हैं। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमें ये जानने का अधिकार है कि चीन से निपटने के लिए सरकार की क्या तैयारी है। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि सरकार सिर्फ अपनी रक्षा कर रही है, देश की नहीं। उन्होंने आगे कहा कि गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
वहीं कांग्रेस नेता पावन खेरा ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि एक तरफ चीन लद्दाख में घूस जाता है और पीएम चीन को बचाते हुए कहते है कि कोई भारतीय सीमा में नहीं घूसा। वहीं जब अरुणाचल में चीन 100 घरों का पूरा गांव बसा लेता है तो पीएम कहते है कि 1959 से ये क्षेत्र विवादित है। मोदी दी चीन के अंधभक्त है। वह हर बार उनके बचाव के लिए खड़े नजर आते हैं।
हमारे सैनिकों ने चुनौती का डटकर सामना किया
हालांकि की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सांसद में इस का जवाब दिया है। उन्होंने उन्होंने बताया कि चीन की ओर से देश की शांति भंग करने और एलएसी पर कब्जा करने की कोशिश की। उन्होंने एक बार फिर अरूणाचल प्रदेश के तवांग जिले निशाना बनाया। लेकिन चीन की इस हरकत का हमारी सेना ने डटकर सामना किया और चीनी सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया। यही नहीं भारतीय सेना ने उन्हें अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए भी मजबूर कर दिया।
वहीं इस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों को चोटें आई हैं। हालांकि कोई भी हमारा कोई भी सैनिक शहीद या गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है। वहीं चीनी सेना ने एलएसी का उल्लंघन किया। जिसे हमने कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया है। उन्होंने कहा कि हमारी सेनाएं वीरता और साहस से हमारी सीमाओं को सुरक्षा रखते हैं। मुझे विश्वास है कि सदन एकुजट होकर हमारी सेनाओं की वीरता और साहस को समझेगा और समर्थन करेगा।
तीनों सेना प्रमुखों के साथ रक्षा मंत्री ने की बैठक
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज तीनों सेना प्रमुखों जनरल मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा हुई है। इस बैठक के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) भी मौजूद थे। वहीं विदेश सचिव विनय क्वात्रा और गिरिधर अरमाने भी शिरकत की।