वाराणसी, ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़ा फैसला सामने आया है। दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष के समर्थन में फैसला आया है। ज्ञानवापी मामला काफी समय से चर्चा बटौर रहा है। इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ASI सर्वे की इजाजत मिल गई है।ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मंदिर मामले में आज वाराणसी जिला न्यायालय ने फैसला सुनाया है। फैसला कार्बन डेटिंग के लिए सील किए गए हिस्से को छोड़कर बाकी का सर्वे कराने से संबंधित मामले में आया है। आपको बता दे, विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे किया जाएगा। जिला कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
इस साल मई में पांच महिलाओं ने याचिका दायर की गई थी।इससे पहले एक अन्य याचिका में मंदिर परिसर के अंदर ‘श्रृंगार गौरी स्थल’ पर प्रार्थना करने की इजाजत मांगी गई थी। मस्जिद परिसर में एक संरचना मिली, जिसे लेकर हिंदू पक्ष का कहना है कि ये शिवलिंग है तो वहीं दूसरे पक्ष ने इसे फव्वारा कहा।
क्या है इतिहास
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से सटा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि त्रानवापी मस्जिद पहले मंदिर था, फिर इसे तोड़कर मस्जिद बनाया गया। आपको बता दे, ज्ञानवापी परिसर एक बीघा, नौ बिस्वा और छह धूर में फैला हुआ है। जहां हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे 100 फीट ऊंचा विशेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है
पहले मंदिर फिर मस्जिद
इसे लेकर दावा किया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य द्वारा हुआ था। 1585 में मुगल सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निमाण कराया और 8 अप्रैल 1669 में मुगल आक्रंता औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करने का फैसला किया था। इसके बाद मंदिर गिराकर वहां पर मस्जिद बना दिया गया। दावा तो ये भी किया जा रहा है कि मस्जिद के निर्माण के लिए मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल किया गया है।
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