उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार जमीन धंसाव हो रहा है। हर घंटे घरों में दरारें बढ़ रह हैं। अब तक शहर के 603 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। 100 से ज्यादा घरों की स्थिति खतरनाक हो चुकी हैं। जबकि एक मंदिर ढह गया हैं। 3000 से ज्यादा लोग हर वक्त दहशत में जी रहे हैं। स्थिती का जायजा लेने के लिए सीएम धामी जोशीमठ का दौरा किया। खतरे को भांपते हुए उन्होंने प्रशासन को फौरन लगभग 600 परिवारों के घर खाली करने का आदेश दे दिए हैं। राज्य सरकार के आदेश अनुसार प्रशासन ने कुछ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है। अब तक 44 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है।
जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता- धामी
वहीं केंद्र सरकार ने धंसते जोशीमठ का “तेजी से अध्ययन” करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया है कि एक समिति बस्तियों, बुनियादी ढांचे, इमारतों, राजमार्गों और नदी प्रणालियों पर भूमि धंसने के प्रभावों का अध्ययन करेगी।
राज्य के सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि “लोगों के जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है। इस कड़ी में अधिकारियों को जोशीमठ में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है।” शहर के कई घरों में दरारें आ चुकी और जमीन लगातार धंस रही है।
वहीं सीएम धामी ने डेंजर जोन, सीवर और ड्रेनेज के ट्रीटमेंट के काम में तेजी लाने का आदेश देते हुए कहा कि जमीन पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करने के अलावा लोगों को एयरलिफ्ट करने की व्यवस्था की जाए।
जोशीमठ में पहला हादसा
जोशीमठ में शुक्रवार शाम एक मंदिर ढह गया, जबकि कई घरों में बड़ी दरारें आ गईं, जिससे बड़ी आपदा के डर से यहां रह रहे लोग काफी डरे हुए हैं।
वहीं सीएम धामी ने कस्बे में एक आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का आदेश दिया है। जहां राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल दोनों की पर्याप्त तैनाती की जाएगी। वहीं घटना में प्रभावित लोगों की मदद के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जोशीमठ के मौजूदा हालात का कारण जलवायु परिवर्तन और निरंतर बुनियादी ढांचे में किया जा रहा विकास है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद सेन ने बताया कि ये कारक हाल में सामने नहीं आए हैं, बल्कि इसमें बहुत लंबा समय लगा है।
रोका गया औली रोपवे का संचालान
बता दें कि जोशीमठ प्रमुख हिंदू और सिख धार्मिक स्थलों जैसे बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब का प्रवेश द्वार है और चीन के साथ भारत की सीमा के पास प्रमुख सैन्य ठिकानों में से एक है। दरारें बढ़ने के कारण औली रोपवे का संचालन भी रोक दिया गया है। कस्बे का मारवाड़ी इलाका जमीन से पानी का रिसाव होने के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित बताया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों की मांग पर चारधाम ऑल वेदर रोड यानी हेलंग-मारवाड़ी बाईपास और एनटीपीसी की बिजली परियोजना जैसे मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों को अगले आदेश तक रोक दिया गया है।
वहीं राज्य सरकार बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली कराया जा रहा है उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए किराए के रूप में 4 हजार रुपये प्रति माह दिया जाएगा।