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उम्र तीन साल भी नहीं, तय की भीमाशंकर किले की 17 किमी की दूरी

उम्र तीन साल भी नहीं, तय की भीमाशंकर किले की 17 किमी की दूरी

मुंबई। कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता। दहानू की रहने वाली दो साल की बच्ची ने यह एक बार फिर साबित कर दिखाया है। दहानू के वडकुन इलाके में रहने वाली दो साल की केशवी ने अपने पहले ही प्रयास में भीमाशंकर किले की 17 किलोमीटर की दूरी तय कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यह कारनामा दहानू के वडकुन की दो साल दस महीने की केशवी राम माछी ने इस दूरी को महज 11 घंटे में तय किया. बता दें कि 31 जुलाई को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग किले की चढ़ाई के लिए दहानू से एक ट्रैकर्स समूह ट्रेकिंग के लिए रवाना हुआ था. इस ग्रुप में वडकुन खेतीपाड़ा के रहने वाले आनंद माछी अपनी पत्नी और बहन के साथ गए थे. वहीं केशवी ने भी चढ़ाई चढ़ने की इच्छा जताई. हालांकि चढ़ाई शुरू करने से पहले परिवार और अन्य लोगों को बच्ची के किले की चढ़ाई करने को लेकर संशय था. लेकिन केशवी ने सुबह 10.30 बजे खांडस गांव से भीमाशंकर के लिए चढ़ाई शुरू की. इस दौरान ट्रैकर्स भी उसके साथ चल रहे थे.

किले की चढ़ाई के लिए सीढ़ियों के नहीं होने की वजह से केशवी कभी-कभी अपने परिजनों का हाथ पकड़कर चली. यात्रा के दौरान, केशवी को उसके परिवार के सदस्यों ने उसे गोदी लेने की भी कोशिश की. साहस और उत्साह से लबरेज केशवी गणेश घाट के रास्ते पर करीब बारह बजे 8.70 किलोमीटर की चढ़ाई बिना किसी मदद के पूरी कर ली थी. उसके बाद डेढ़ बजे वापसी की यात्रा शुरू होने के बाद भी वह खुद आगे आ गई. किले के आधार पर पहुंचते-पहुंचते केशवी पूरी तरह से थक गई, लेकिन लोगों के प्रोत्साहन से उसने अकेले भीमाशंकर किले की यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर ली.

केशवी को किले की 17 किलोमीटर चढ़ने में 6 घंटे और वापस आने में 5 घंटे 30 मिनट का समय लगा. वहीं ट्रैक को पूरा करने में केशवी को ग्यारह घंटे तीस मिनट लगे. इस ट्रैक प्रतियोगिता में 62 लोगों ने भाग लिया. केशवी राम माछी सबसे कम उम्र की प्रतियोगी थी. केशवी का यह पहला ट्रैकिंग अभियान था. केशवी ने अपने चचेरे भाई आनंद माछी से ट्रैकिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया. केशवी के प्रदर्शन की हर तरफ सराहना और बधाई मिल रही हैं. ट्रैकिंग का आयोजन गडप्रेमी ट्रैकर्स दहानू ग्रुप के अध्यक्ष अमूल टंडेल ने किया था. उनके द्वारा 2018 से ट्रैकिंग का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में अभी तक महाराष्ट्र में 65 स्थानों पर इस तरह की ट्रैकिंग आयोजित कर चुके हैं.

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