Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 427

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 428
Lokendra Singh Kalvi Dead: कौन थे लोकेंद्र सिंह कालवी, जिन्होंने ‘पद्मावत’

Lokendra Singh Kalvi Dead: कौन थे लोकेंद्र सिंह कालवी, जिन्होंने ‘पद्मावत’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी फिल्मों का किया विरोध

जयपुर। करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सोमवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने देर रात राजस्थान के जयपुर के एमएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। मिली जानकारी के अनुसार कालवी का जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में लंबे समय से इलाज चल रहा था। अस्पताल में इलाज के दौरान ही देर रात लोकेंद्र सिंह को कार्डियक अरेस्ट आया था, जिसके चलते कुछ देर बाद उनका निधन हो गया। 2022 में कालवी को ब्रेन स्ट्रोक आया था।

पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार लोकेंद्र सिंह का अंतिम संस्का

बता दें कि कि लोकेंद्र सिंह कालवी का अंतिम संस्कार नागौर जिले में उनके पैतृक गांव कालवी में होगा। लोकेंद्र ने साल 2006 में ‘श्री राजपूत करणी सेना’ की स्थापना की थी। उन्होंने ‘पद्मावत’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी फिल्मों का जमकर विरोध किया था। ‘पद्मावत’ की शूटिंग के दौरान जयपुर में जमकर हंगामा देखने को मिला था। हालांकि कालवी ने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया। उनका कहना था कि आंदोलन शांतिपूर्ण होने चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्याण सिंह कालवी के पुत्र लोकेंद्र को पूरे समाज को एक साथ लेकर चलने के लिए जाना जाता था। लोकेंद्र सिंह छुआछूत और भेदभाव के कट्टर विरोधी थे।

कालवी की सियासत में एंट्री

इसके अलावा लोकेंद्र सिंह कालवी 2003 में कुछ राजपूत नेताओं के साथ मिलकर सामाजिक न्याय मंच का गठन किया और सवर्णों के लिए आरक्षण की मुहिम शुरू की। कालवी ने 2 बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा। हालांकि जीत हासिल नहीं कर पाए। वहीं पिता कल्याण सिंह कालवी पूर्व पीएम चंद्रशेखर की सरकार में मंत्री थे। पिता की असमय मौत के बाद कालवी की सियासत में एंट्री की। उन्होंने अपनी पढ़ाई अजमेर में पूर्व राजपरिवारों के पसंदीदा स्कूल मेयो कॉलेज से की। उनकी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अच्छी पकड़ थी।

Exit mobile version