मनोरंजन के लिए फिल्में तो आप सभी देखते होंगे। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो फिल्मी दुनिया की कहानियों को अपने असल जीवन के पर्दे पर उतारते है। जिसके चलते कई लोग बड़ी वारदात को अंजाम देते है। आप सोच रहे होंगे की हम ऐसा ही क्यों कह रहे है। दरअसल एक बार फिर फिल्मी दुनिया की कहानी को हकीकत का रूप देने की कोशिश की गई है। सब कुछ आरोपियों के हिसाब से चल रहा था लेकिन अचानक वह अपने बिछाए जाल में खुद ही फंस गए।
आपको बता दें कि साल 2013 में स्पेशल 26 नाम से बॉलीवुड की एक फिल्म आई थी। जो काफी हिट भी हुई थी। इस फिल्म में अक्षय कुमार, अनुपम खेर और मनोज बाजपेयी स्टारर थे। जो फिल्म में सीबीआई के नकली अधिकारियों का गैंग बनाकर छापेमारी करता थे। फिर पैसों लेकर रफूचक्कर हो जाता थे।
गिरोह का पर्दाफाश
यूपी के लखनऊ में आयकर विभाग के दफ्तर से भी ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसने सबको हैरान कर दिया हैं। दरअसल मुख्यालय की कैंटीन में बैठकर लोगों को नौकरी का फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। सोचने वाली बात तो ये है कि जिस ऑफिस में लोग घुसने से भी डरते हैं वहां बैठकर लाखों रुपये की ठगी की वारदात हुई तो कैसे।
फिलहाल पुलिस ने आयकर विभाग की कैंटीन में बैठकर लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने वाले गिरोह के महिला सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से आयकर विभाग की फर्जी मोहरें और कई जरूरी कागजात भी बरामद हुए है।
मिली जानकारी के अनुसार आज दोपहर गिरोह के लोग आयकर विभाग के दफ्तर की कैंटीन में बैठकर कुछ लोगों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। अज्ञात लोगों को कैंटीन अधिकारियों ने लोगों से पूछताछ की तो मामले का भंडाफोड़ हुआ।
50 से अधिक लोगों के मोबाइल जब्त
आपको बता दें कि लखनऊ के नरही रोड पर आयकर मुख्यालय है। जहां दोपहर के समय कैंटीन और उसके आस-पास के एरिया में अचानक लोगों की भीड़ दिखाई दी। बाहरी लोगों को देखकर संदेह हुआ तो कर्मचारियों लोगों से पूछताछ की। कैंटीन में इंटरव्यू देने की बात पता चलने पर संदेह बढ़ गया। जिसके बाद तुरंत मुख्यालय का मैन गेट बंद कर दिया गया। इस दौरान मास्टरमाइंड के साथ मौके पर विभाग के अंदरूनी लोग भी मौजूद मिले। 50 से अधिक लोगों के मोबाइल जब्त किए गए। जिनकी अब जांच की जा रही है
आरोपियों से दो घंटे तक हुई पूछताछ
बता दें कि जालसाजों के साथ मौजूद प्रियंका मिश्रा नाम की एक महिला जब अधिकारियों के सवालों पर विरोधाभासी बयान देने लगी तो विभाग के अधिकारियों को उसपर शक हुआ। जिसके चलते महिला सहित सात लोगों को पकड़ लिया गया। इस मामले की जानकारी पुलिस को दे दी गई। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपियों से दो घंटे तक पूछताछ की। जिसमें खुलासा हुआ है कि ये लोग आयकर विभाग में बैठकर नौकरी के फर्जी नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। महिला शाहजहांपुर की निवासी है। वह लखनऊ के त्रिवेणी नगर इलाके में रहती है और कानून की पढ़ाई करती है।
बड़ी बात ये कि मुख्यालय में बिना अनुमति के किसी बाहरी व्यक्ति की एंट्री संभव नहीं है। इसके बाद भी आरोपी पिछले 2 सप्ताह से लगातार आयकर विभाग के दफ्तर में आ रहे थे। तो इतनी हिम्मत दिखाते हुए जालसाज ऑफिस में कैसे आ रहे थे।
जानें पूरा गेम प्लान
मिली जानकारी के अनुसार आयकर विभाग में खेल कोटा में कई पदों पर भर्ती निकली थी। जिन्हें हथियार बनाकर पूरा गेम प्लान किया गया। बता दें कि हाल ही में खेल कोटा के कैंडिडेट्स की फीजिकल स्क्रीनिंग पूरी हुई है। जिसे आधार बनाकर फ्री जॉब अलर्ट वेबसाइट पर ऐड दिया गया। वहीं आरोपी महिला ने रोज ऑफिस जाकर अधिकारियों के बारे में जानकारी इकट्ठा की। उसने पता लगाया कि किस अधिकारी के साइन से नियुक्ति होती है और किसके मुहर की जरूरत पड़ती है।
विभाग के कई अधिकारी संदेह के घेरे में
वहीं जॉब वेबसाइट पर ही वैकेंसी की सूचना और अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के बाद नियुक्ति पत्र दिया जाता था। इस मामले में आयकर विभाग के कई अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। वहीं विभाग में रखे कागजात कितने जरूरी इसका तो विभाग के छोटे-से-छोटे कर्मचारी को भी पता है। सवाल ये भी है कि आरोपियों ने प्रिसिंपल चीफ कमिश्नर की सील आखिर कैसे बनवाई। क्योंकि सील यूनिक होती है इसलिए उसको बाहर लाना मना है। जबकि पुरानी सील को भी डिस्पोज ऑफ करने की एक प्रक्रिया तय की गई है।
10 लाख प्रति बेरोजगार
वहीं नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाज बेरोजगारों को कर सहायक और आयकर निरीक्षक का नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। जबकि विभाग में कर सहायक का कोई पद होता ही नहीं। अपॉइंटमेंट लेटर पर प्रिसिंपल चीफ कमिश्नर की सील लगाई जाती थी। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि नौकरी के एवज ये लोग हर बेरोजगार से 10 से 15 लाख रुपये वसूलते थे। नौकरी देने से पहले प्रियंका और उसके जालसाज साथियों का पैनल बकायदा लोगों का इंटरव्यू लेता था।