पीएम मोदी ने आज राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम पहुंचे। जहां उन्होंने 1913 में ब्रिटिश सेना के गोलीबारी के दौरान जान गंवाने वाले आदिवासियों को श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया। इस अवसर पर पीएम के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी शिरकत की।
‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’
दरअसल जिले में स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम आदिवासी नायकों और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ नाम सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पीएम मोदी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनें। पीएम ने इस कार्यक्रम में भील स्वतंत्रता सेनानी श्री गोविंद गुरु को भी श्रद्धांजलि अपर्ति की।
आपको बता दें कि मानगढ़ की पहाड़ियों का भील समुदाय और राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की अन्य जनजातियों के लिए विशेष महत्व है। क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भील और अन्य जनजातियों ने यहां पर अंग्रेजों से लंबे समय तक लोहा लिया। भील स्वतंत्रता सेनानी श्री गोविंद गुरु के नेतृत्व में 17 नवंबर 1913 को 1.5 लाख से अधिक भीलों ने इन्हीं पहाड़ियों पर सभा की थी। इस दौरान अंग्रेजों ने गोलियां चला दीं थी। जिसमें लगभग 15 सौ आदिवासी शहिद हो गए।
‘ये नरसंहार अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा’
इसी बीच पीएम मोदी ने जनसभा को संभोधित करते हुए कहा कि मानगढ़ धाम की सेवा करना मेरा सौभाग्य है। क्योंकि ये धरती वीरों की तपस्या और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि गोविंद गुरू ने एकता और भाईचारे का संदेश देते हुए आदिवासी समाज के लिए लड़ाई लड़ी। आदिवासी समाज के बिना भारत का भविष्य अधूरा है।
वहीं पीएम ने कहा कि 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ में हुआ नरसंहार अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा थी। दुनिया को गुलाम बनाने की सोच रखने वाली अंग्रेजी हुकूमत ने मानगढ़ की इस पहाड़ी पर 1500 से ज्यादा लोगों को घेरकर उन्हें मौत के घाट उतारा था।
‘अशोक गहलोत सबसे वरिष्ठ है’
लेकिन दुर्भाग्य से आदिवासी समाज के इस बलिदान को इतिहास में जो जगह मिलनी थी वह नहीं मिल पाई। आज देश उस भूल को सुधार रहा है। भारत का अतीत, इतिहास, वर्तमान और भविष्य सब आदिवासियों के बिना अधूरा है।
इसके बाद उन्होंने सीएम गहलोत की तारीफ की और कहा कि अशोक गहलोत जी और मैंने मुख्यमंत्री के रूप में एक साथ काम किया था। गहलोत जी हमारे बहुत से मुख्यमंत्रियों में सबसे वरिष्ठ थे। यहां मंच पर बैठे आज भी वें सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री में से एक हैं।
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