ज्ञानवापी मामले को लेकर लगातार राजनीति गरमाई हुई है। कभी स्वामी प्रसाद मौर्या बोलते नजर आते हैं तो कभी पूरा विपक्ष। वहीं आज ज्ञानवापी मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बड़ा बयान दे दिया है। इसके साथ ही भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने रविवार को कहा कि कुछ लोग 1991 में बने का सहारा लेकर विवादित धर्मिक स्थलों का सच सामने नहीं लाने देना चाहते हैं। उन्हें पता होना चाहिए की जनता की मांग पर वर्तमान सरकार ऐसेे कानून में संशोधन करके उसे बदल भी सकती है।
बता दें कि काशी पहुंचे भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि ज्ञानवापी का सच सामने आना जरूरी है। इसके लिए कई लोग सामने से लड़ाई लड़ रहे हैं तो बहुत लोग घरों में बैठकर प्रार्थना कर रहे हैं। अब लोग पूछ रहे हैं कि नंदी जिस ओर मुंह करके बैठे हैं तो शिव मंदिर कहां है ?
उन्होंने कहाकि बात वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित है कि नंदी का मुंह जिस ओर होता है उधर ही शिव मंदिर होता है। ज्ञानवापी मामले में भी यही है। अभी ज्ञानवापी में कोर्ट ने सर्वे का निर्णय लिया। इसके पहले भी सर्वे हुआ। अभी तक के सर्वे में शिवभक्तों का विश्वास में सत्यता नजर आई। अब कानून के रास्ते इस विवाद का समाधान होगा। हमें और हिंदू समाज को पता है कि ज्ञानवापी शिवमंदिर ही है। लेकिन हम उसको कानून के जरिए हासिल करना चाहते हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य पर साधा निशाना
मनोज तिवारी ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में कहाकि राजनीतिक करंट लगने से वह मानसिक तौर पर विक्षिप्त हो गए हैं। एक जमाना था कि जब वह मंत्री थे। आज उनकी बात कोई नही सुनता। स्वामी प्रसाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। वो स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग से दूरी बनाएं तो 10-15 साल बाद सत्ता में वापसी हो सकती है। अखिलेश यादव जिस समाज को अपना वोट बैंक मानते हैं वो समाज अब उनके साथ नहीं रहा।
स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा मंदिरों का सर्वे करवाए जाने पर बौद्ध मंदिर मिलने के बयान पर कहा कि वह मानसिक संतुलन खो चुके हैं। सांस्कृतिक संकुल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 2200 कानून को बदला गया है, तो 1991 के कानून को भी हटा दिया जाएगा। यह संसद की व्यवस्था है। संविधान संशोधन हम पहली बार नही करेंगे। इससे पहले 104 बार हो चुका है।