ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने पर प्रतिक्रिया सामने आई है। बोर्ड ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत में इस तरह कानून बनाना बेवजह देश के संसाधनों को खराब करना है। ये कानून समाज में बेवजह अराजकता का माहौल उत्पन्न करेगा। मुस्लिम बोर्ड के अनुसार अभी ये कानून लाना खतरनाक, अव्यहारिक और अनावश्यक है।
कानून में नहीं होने चाहिए बदलाव?
एक प्रेस बयान में मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने कहा कि हमारा देश की पहचान बहु- धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषाई है। उनका कहना है कि इस पहचान के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा संविधान के अनुच्छेद 371 (ए) और 371 (जी) के अनुसार उत्तर-पूर्वी देश के आदिवासियों को विशेष प्रावधानों की गारंटी दी जाती है। जोकि संसद को किसी भी कानून को लागू करने से रोकता है। उन्होंने कहा है कि अगर ऐसा कानून लागू होता है तो वह देश के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ करेगा।
कुरान से लिए गए हैं कानून
यूसीसी का विरोध करते हुए डॉ इलियास ने कहा कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बने कानून किताब कुरान से लिए गए हैं। उसमें लिखी गई बातों को बदलने और काटने की इजाजत खुद मुसलमान को भी नहीं है। फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें दखलअंदाजी कर सकती है।